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Rediff.com  » Movies » 'मैं आज भी सदमे में हूं'

'मैं आज भी सदमे में हूं'

By पैट्सी एन
November 12, 2019 00:15 IST
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'मुझे मेरा खोया हुआ समय कौन लौटायेगा?

'जिस तनाव से मैं ग़ुज़रा हूं, जिस तनाव से मेरा परिवार गुज़रा है।'

'हम पिछले सात-आठ साल से हँसे नहीं हैं।'

फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

अपने अनुभवहीन करियर से कहीं ज़्यादा, सूरज पंचोली जिया ख़ान आत्महत्या मामले में भूमिका के कारण चर्चा में रहे हैं।

ज़रीना वहाब और आदित्य पंचोली का छोटा बेटा निःशब्द की अभिनेत्री के साथ प्रेम-संबंध में था, जब 2013 में उसने आत्महत्या की थी।

तब से अब तक का सफ़र सूरज के लिये मुश्किलों से भरा रहा है।

अपनी पहली फिल्म हीरो की रिलीज़ के चार साल बाद, सूरज अब अपनी अगली फिल्म सैटेलाइट शंकर  के लिये तैयार है।

"मुझे लगता है कि मैं बलि का बकरा बन गया, क्योंकि उसके (जिया ख़ान के) डिप्रेशन के पीछे और कारण थे, मैं नहीं," सूरज ने पैट्सी एन/रिडिफ़.कॉम  को बताया।

ट्रेलर लॉन्च में जब आपसे आपके कोर्ट केस के बारे में पूछा गया, तो आप रो पड़े। ऐसा क्यों?

क्योंकि यह बात मेरे भीतर बहुत लंबे समय से दबी हुई है।

मैं चाहता था कि लोग जानें कि मैं बुरा इंसान नहीं हूं और मुझपर ग़लत इल्ज़ाम लगा है।

लेकिन एक अरसा बीत चुका है और अभी तक मुक़दमा शुरू भी नहीं हुआ है।

मेरे पास देने के लिये ज़्यादा साल नहीं हैं, क्योंकि यह मेरा करियर बनाने का समय है।

मेरे ख़िलाफ़ लगे आरोप साबित नहीं हुए हैं। CBI और पुलिस कह चुकी है कि मेरा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

तो अर्ज़ीदार अदालत क्यों नहीं आ रहे?

मैं आरोपी हूं।

मुझे एक शब्द भी नहीं कहना है।

मुझे ख़ुद को निर्दोष साबित करने की ज़रूरत नहीं है।

लोगों को मुझे दोषी साबित करना होगा।

मैं भारत का एकमात्र ऐसा केस हूं, जिसमें आरोपी ही मुक़दमे की कार्रवाई तेज़ करने की मांग कर रहा है।

किसी भी आरोपी ने ऐसा नहीं किया है, क्योंकि उन्हें कार्रवाई में देरी चाहिये होती है।

मुझे कार्रवाई में देरी नहीं चाहिये।

मैं चाहता हूं कि यह जल्द से जल्द ख़त्म हो जाये।

मैंने अदालत से मेरा मुक़दमा तेज़ करने की मांग की है और उच्च न्यायालय को आदेश दे दिया गया है।

मैं अदालत के किसी भी फ़ैसले के लिये तैयार हूं, लेकिन कम से कम कोई फ़ैसला तो आये।

Trailer

फोटो: सूरज पंचोली सैटेलाइट शंकर में। फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

क्या आप जिया की माँ राबिया ख़ान से नाराज़ हैं?

मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता; वो शिकायतकर्ता हैं।

वो अदालत नहीं आ रही हैं।

यह (अदालत आना) आपकी ज़िम्मेदारी है, अगर आप न्याय चाहती हैं, आप सच की जीत चाहती हैं।

क्या आप सचमुच जानना चाहती हैं कि क्या हुआ था?

क्या यह सब कुछ मुझे तकलीफ़ देने और मुझ पर इल्ज़ाम डालने और मुझे बलि का बकरा बनाने के लिये किया जा रहा है?

मुझे लगता है कि मैं बलि का बकरा बन गया, क्योंकि उसके (जिया ख़ान के) डिप्रेशन के पीछे और कारण थे, मैं नहीं।

आप अदालत क्यों नहीं आना चाहतीं?

आप पिछले सात साल में कठघरे में गवाही देने के लिये क्यों खड़ी नहीं हुईं?

इसका कोई तो कारण होगा।

21 साल की उम्र में आप जेल में थे, और वो बेहद मुश्किल समय रहा होगा। क्या आप जेल में बिताये गये वक़्त को याद करना चाहेंगे?

मैं आज भी सदमे में हूं।

मुझे रात को नींद नहीं आती थी, क्योंकि मैंने किसी अपने को खो दिया था।

तब मेरा करियर शुरू नहीं हुआ था -- हीरो  बहुत बाद में शुरू हुई -- लेकिन मेरे परिवार और उस हादसे के बारे में सोच-सोच कर मैं रात भर सो नहीं पाता था।

मैं किसी को खोया था, लेकिन मैंने कुछ ग़लत नहीं किया था।

मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आता कि इल्ज़ाम मुझपर क्यों लगाया जा रहा था।

उन्हें खोना भी उतना ही दुःखद रहा होगा?

हाँ, मैं उस समय उसका सबसे क़रीबी था।

उसका परिवार उसके साथ समय भी नहीं बिताता था। वे सब लंदन में थे और उसके बुरे वक़्त में शायद ही कभी उसके पास रहे हों।

फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

क्या आपको जिया से प्यार करने का अफ़सोस होता है?

नहीं। मेरे लिये उसका प्यार बिल्कुल सच्चा था।

शायद मैं बहुत अच्छा इंसान नहीं हूं, लेकिन मैं उसकी हर ज़रूरत में उसका साथ देता था।

लेकिन साथ देने के लिये सिर्फ बॉयफ्रेंड काफ़ी नहीं होता।

आपको परिवार की ज़रूरत होती है, ख़ून के रिश्तों की ज़रूरत होती है।

जब लोग पूछते हैं कि क्या मैं अपनी ग़लतियों से सीख रहा हूं, तो मेरा जवाब होता है नहीं, क्योंकि मैंने कोई ग़लती नहीं की है।

उस उम्र में लोगों को सचमुच प्यार हो जाता है।

वो मुझसे काफ़ी बड़ी थी -- मैं 21 का था, वो 27 की।

वह ज़्यादा समझदार थी।

उसे पता था कि वो क्या कर रही है।

मैं उसे सिर्फ पाँच महीनों से जानता था; वो मेरा सबसे कम चलने वाला रिश्ता था।

और उन पाँच महीनों ने आपकी ज़िंदग़ी बर्बाद कर दी?

नहीं। मेरा भविष्य उज्जवल है।

लेकिन हाँ, उससे मेरी ज़िंदग़ी के पाँच-छः साल ज़रूर बर्बाद हो गये।

मेरा खोया हुआ वक़्त मुझे कौन वापस देगा?

मैं काम करने की पूरी कोशिश करूंगा, लेकिन मुझे मेरे खोये हुए पल कौन लौटायेगा?

जिस तनाव से मैं ग़ुज़रा हूं, जिस तनाव से मेरा परिवार गुज़रा है।

हम पिछले सात-आठ साल से हँसे नहीं हैं।

फोटो: सूरज सैटेलाइट शंकर  से एक ब्रेक लेते हुए। फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

आपको जिया की कौन सी बात याद आती है? आपकी उनसे पहली मुलाकात कैसे हुई?

मैं उस बारे में बात नहीं करना चाहता।

क्या उनके बारे में बात करने से आपको तकलीफ़ होती है?

हाँ। वो सिर्फ मेरी गर्लफ्रेंड ही नहीं, मेरी दोस्त भी थी।

क्या उसने आपको अपनी तकलीफ़ें बताई थीं?

हाँ, वो बहुत, बहुत ही ज़्यादा डिप्रेस्ड थी।

क्यों?

मैं उन बातों में नहीं उतरना चाहता।

उसका कारण उनका करियर था या निजी ज़िंदग़ी?

दोनों।

 

फोटो: सैटेलाइट शंकर  की शूटिंग के दौरान हिमाचल प्रदेश का आनंद लेते हुए। फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

मैंने जिया ख़ान का इंटरव्यू लिया था और मैं जानना चाहूंगी कि क्या हुआ। मुझे लगता है कि वह ज़िंदग़ी में बहुत सी चीज़ें करना चाहती थी, और उसमें सब कुछ करने की क्षमता भी थी।

फिर आपके अनुसार चीज़ें कहाँ ग़लत हो गयीं?

क्या आपको पता है 14 वर्ष की उम्र में उसका बलात्कार हुआ था?

क्या आपको पता है कि वह अपने पिता के साथ नहीं रहती थी?

क्या आप जानती हैं कि जब वह नन्ही सी थी तब उसकी माँ ने चार घर बदले थे?

क्या आप जानती हैं कि उसे उसके परिवार ने ज़बर्दस्ती (फिल्म) इंडस्ट्री में धकेल दिया था, जब उसकी उम्र सिर्फ 16 साल की थी?

तो मूवी करियर में उसकी दिलचस्पी नहीं थी?

शायद होगी। लेकिन उस उम्र में आपको पढ़ाई की ज़रूरत होती है। आपको स्कूल जाने की ज़रूरत होती है।

आपको क्या लगता है, लोग आप पर इल्ज़ाम क्यों लगा रहे हैं?

लोगों को क्यों लगता है कि मैं ही हत्यारा हूं क्योंकि मैं उसका बॉयफ्रेंड था?

मैं बस उसे पाँच महीनों से जानता था।

उसकी ज़िंदग़ी के बाक़ी 27 सालों का क्या? तब कौन उस पर नज़र रख रहा था?

वह ऐंटीडिप्रेसेंट पिल्स लिया करती थी।

वह स्लीपिंग पिल्स लिया करती थी।

उसे शराब की लत थी।

लोग उनपर सवाल क्यों नहीं उठा रहे?

लोग मुझसे पहले की उसकी ज़िंदग़ी को क्यों नहीं देख रहे?

फोटो: जिया ख़ान।

उसके ऐसा कदम उठाने का कारण क्या रहा होगा?

मुझे नहीं पता।

क्या आप दोनों का झगड़ा हुआ था?

बहुत ही छोटा, मामूली झगड़ा।

वो मुझसे मिलना चाहती थी और मैं मिलना नहीं चाहता था।

क्या आपने उसके साथ रिश्ता तोड़ लिया था?

मेरी उसके साथ इस बात पर बहस हुई थी कि उसकी माँ को मेरा उसके साथ रहना पसंद नहीं था।

मैंने उससे कहा कि 'तुम्हारी माँ नहीं चाहती कि मैं तुम्हारे साथ रहूं', तो मैं अपने क़दम वापस ले रहा हूं।

फोटो: हीरो में सूरज अतिया शेट्टी के साथ।

 

हीरो  2015 में रिलीज़ हुई थी। आपकी अगली रिलीज़ में इतना समय क्यों लगा?

सच कहूं तो, मुझे अच्छी स्क्रिप्ट्स नहीं मिली।

मुझे कुछ दिलचस्प नहीं मिला, क्योंकि मैं ज़्यादा समय अपने परिवार और इस केस को दे रहा था।

मुझे बुरा लगता है  क्योंकि मैं इन चीज़ों के लिये काफ़ी छोटा था।

यह सिर्फ कष्ट नहीं, सदमा है।

लेकिन भगवान सबकी सुनता है। उसने मेरा साथ दिया है।

मुझे सैटेलाइट शंकर  जैसी फिल्म की ज़रूरत थी, ताकि लोग मुझे एक परफॉर्मर और अभिनेता के रूप में जान सकें।

मैं चाहता हूं कि लोग मुझे मेरे काम के लिये पहचानें।

मैं चाहता हूं कि मेरे परिवार को मुझपर नाज़ हो।

आप सैटेलाइट शंकर  में फ़ौजी का किरदार निभा रहे हैं। क्या आपने कभी निजी ज़िंदग़ी में सैनिक बनने की सोची थी?

मैं हमेशा फ़ौजी बनना चाहता था।

मैं स्कूल में नाटक में हिस्सा लेता था, जहाँ मुझे वर्दी मिलती थी।

मैं हमेशा युद्ध वाली फिल्म, ऐक्शन फिल्म करना चाहता था।

स्क्रिप्ट सुनने पर पहले 5-10 मिनट में ही मुझे इससे प्यार हो गया।

यह एक फ़ौजी की कहानी है, जो अपनी माँ से मिलना चाहता था और एक परिस्थिति में उलझ जाता है।

उसे तीन दिनों में अपने घर पहुंचना होता है, लेकिन उसे छः दिन लग जाते हैं।

अब, उसके पास लौटने के लिये सिर्फ एक दिन बचा है।

उसने अपने जनरल से वादा किया था कि वह वापस लौटेगा, तो लोग उसके बेस पहुंचने में किस तरह उसकी मदद करते हैं।

यह एक बेहद भावनात्मक फिल्म है।

 

फोटो: सूरज अपनी माँ ज़रीना वहाब के साथ। फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

आपकी माँ ज़रीना वहाब के साथ आपके संबंध कैसे हैं?

बिल्कुल शंकर और उसकी माँ की तरह -- बहुत ज़्यादा प्यार से भरा।

हमें एक-दूसरे को गले लगाना पसंद है; उन्हें मुझे खाना खिलाना पसंद है।

उन्हें मेरा ध्यान रखना पसंद है।

वो अभी भी मुझसे छोटे बच्चे की तरह पेश आती हैं।

वो मेरी रीढ़ हैं।

मेरी मुश्किल घड़ियों में मेरी माँ बेहद मज़बूत रहीं।

मैं सोचता था कि वो परिवार में सबसे कमज़ोर हैं, लेकिन वही सबसे ज़्यादा मज़बूत निकलीं।

वो हमारे घर की शेरनी हैं और उन्होंने ही परिवार को जोड़ कर रखा है।

मेरे लिये वो सैटेलाइट ज़रीना हैं।

फोटो: पिता आदित्य पंचोली के साथ सूरज की बचपन की एक तसवीर। फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

आपके पिता आदित्य पंचोली के साथ आपके संबंध कैसे हैं?

बहुत अच्छे।

पहले हम ज़्यादा बात नहीं करते थे, लेकिन अब हम काम से जुड़ी कई चीज़ों के बारे में बात करते हैं।

मैं अब बड़ा हो गया हूं और उन्हें बात करने के लिये कोई दोस्त चाहिये।

जब बच्चा छोटा होता है, तो वह अपनी माँ का सबसे अच्छा दोस्त होता है। बड़ा हो जाने पर वो डैडी का बेस्ट फ्रेंड बन जाता है।

मुझे उनसे डर लगता है, लेकिन वो उनके लिये मेरे सम्मान की निशानी है।

आपके माता-पिता दोनों ऐक्टर हैं। क्या आप उनकी राय लेते हैं?

ज़्यादा नहीं।

मैं माँ से कुछ किरदारों के बारे में पूछ लेता हूं, लेकिन मेरे पिता इन चीज़ों से दूर ही रहना पसंद करते हैं।

सैटेलाइट शंकर  की शूटिंग के लिये आपने भारत के 10 राज्यों की यात्रा की है।

हाँ, हम हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिल नाडु, महाराष्ट्र तथा कई अन्य राज्य गये थे।  

हमने ट्रेन्स, बसों, ट्रैक्टर्स, मोटरबाइक पर शूटिंग की है...

यह यात्रा पर आधारित फिल्म है, जिसे हमने 50 दिनों के भीतर शूट किया था।

फोटो: सूरज ताज महल पर। फोटोग्राफ: Sooraj Pancholi/Instagram के सौजन्य से

हमें इस फिल्म के साथ अपना अनुभव बतायें।

मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी पेड़ से सेब तोड़ूंगा! हिमाचल में मुझे ऐसा करने का मौका मिला... वहाँ सेब के कई पेड़ थे।

मैं कभी नहीं सोचा था कि मैं छत्ते से शहद चख पाउंगा।

मैं वहाँ के स्थानीय लोगों से मिला और मैंने चाय बनाना सीखा।

मैंने पहली बार ताज महल देखा।

मैं हमेशा पंजाब देखना चाहता था और गन्ने के खेत में जाना चाहता था, मुझे उसका भी मौका मिल गया।

मैंने देसी गुड़ खाया।

मैं परिवारों से मिला।

क्या इसके बाद आप एक बायोपिक कर रहे हैं?

वह हरियाणा के एक बॉक्सर की कहानी है, जिसने भारत के लिये कई मेडल जीते हैं।

वह कभी भी अपने मैचेज़ नहीं हारा।

कोई उसके बारे में नहीं जानता क्योंकि उसपर कोई फिल्म नहीं बनी है। 

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