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Rediff.com  » Cricket » 'पृथ्वी को अब सिर्फ क्रिकेट के बारे में सोचना होगा'

'पृथ्वी को अब सिर्फ क्रिकेट के बारे में सोचना होगा'

By हरीश कोटियन
Last updated on: August 04, 2019 16:22 IST
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'मुंबई के सभी पुराने और वर्तमान खिलाड़ी हमेशा एक-दूसरे की मदद के लिये तैयार रहते हैं। मुझे जानकारी है कि सचिन तेंदुलकर ने पहले भी पृथ्वी से बात की है और ज़रूरत पड़ने पर भविष्य में भी वे उससे बात करेंगे और उसे सलाह ज़रूर देंगे।

'सचिन हमेशा मुंबई के खिलाड़ियों के लिये उपलब्ध रहते हैं और बात-चीत के द्वारा उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं और सुनील गावस्कर और दिलीप वेंगसरकर सर जैसे पुराने महारथी भी उनकी सहायता करते हैं,' मुंबई के पूर्व रणजी ट्रॉफी कोच विनायक सामंत ने कहा।

Prithvi Shaw

फोटो: टर्ब्यूटलीन नामक प्रतिबंधित पदार्थ खा लेने के बाद पृथ्वी शॉ पर आठ महीनों का बैक-डेटेड निलंबन लगाया गया है। फोटोग्राफ: Ryan Pierse/Getty Images

पृथ्वी शॉ के डोपिंग बैन से मुंबई क्रिकेट खेमे में हलचल मच गयी है।

देश को सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, दिलीप वेंगसरकर, विजय मर्चंट, अजिंक्य रहाणे और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज विश्वस्तरीय क्रिकेटर देने वाले मुंबई को भारतीय क्रिकेट का बगीचा कहा जाता है।

मंगलवार को, मुंबई के कई लोग, ख़ास तौर पर क्रिकेट के खेल से जुड़े लोग दंग रह गये। अपने पहले टेस्ट में शतक लगाने वाले 19-वर्षीय शॉ को टर्ब्यूटलीन नामक प्रतिबंधित पदार्थ खा लेने के कारण डोपिंग उल्लंघन के दंड के रूप में आठ महीनों के लिये निलंबित कर दिया गया है।

पिछले वर्ष मुंबई के रणजी ट्रॉफी कोच रहे विनायक सामंत भी शॉ की इस ग़लती के बारे में सुनकर दंग रह गये।

"मुझे हैरत ज़रूर हुई, क्योंकि वो भारत का एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी है। उसे इन चीज़ों के बारे में पता होना चाहिये और इसलिये यह बात चौंकाने वाली है," उन्होंने रिडिफ़.कॉम से कहा।

"मुझे इस बात की उम्मीद नहीं थी, ख़ास तौर पर पृथ्वी से, क्योंकि उसने यहाँ तक पहुंचने के लिये कड़ी मेहनत और लगन दिखाई है। भारत के लिये खेलने का मौका पाना कोई मामूली बात नहीं है और अगर आप ऐसे किसी कारण से टीम से निकाल दिये जाते हैं, तो यह बड़े दुःख की बात है। यह बेहद निराशाजनक है," 46-वर्षीय मुंबई मुंबई के पूर्व विकेट-कीपर ने आगे कहा।

मुंबई में अंडर-16 स्कूल्स टूर्नामेंट में रिज़वी स्प्रिंगफील्ड स्कूल के लिये 300 गेंदों में 546 रन का विश्व रेकॉर्ड बनाने के बाद से यह युवा खिलाड़ी सफलता के दावेदारों में गिना जाने लगा है। साथ ही उसने रणजी और दलीप ट्रॉफी में अपने पहले ही मैच में शतक बना कर सचिन तेंदुलकर के रेकॉर्ड की भी बराबरी कर ली है। शॉ ने 2018 में भारतीय टीम को अंडर-19 विश्व कप भी जिताया, जिसके बाद सिर्फ 18 वर्ष की उम्र में उन्हें भारतीय टेस्ट टीम में शामिल कर लिया गया।

शॉ ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की धमाकेदार शुरुआत की -- पिछले वर्ष वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ एक शतक बना कर -- लेकिन उसके बाद से उनके लिये चीज़ें सही दिशा में नहीं जा रही हैं।

ख़बरों के अनुसार, उन्हें पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ के बीच में ही वापस भेज दिया गया, क्योंकि टीम मैनेजमेंट उनके व्यवहार से ख़ुश नहीं था

अभी से ही सभी सोचने लगे हैं, कि क्या शॉ भारत और मुंबई के पूर्व खिलाड़ी विनोद कांबली की राह पर तो नहीं चल रहे, जो प्रतिभाशाली होने के बावजूद अनुशासन के मुद्दों की वजह से अपना हुनर नहीं दिखा पाये।

"यह विनोद कांबली की कहानी के जैसा ही है। हमने उन्हें भी इसी तरह ऊपर उठकर नीचे गिरते देखा है। यह सब कुछ खिलाड़ी पर निर्भर करता है, कि वह अपना ध्यान कैसे रखता है। उन्हें अपने खेल के साथ आने वाली प्रसिद्धि, पैसे और हर चीज़ पर नियंत्रण रखना आना चाहिये," सामंत ने कहा।

"आपको ऊपर जाने में बहुत समय लगता है, लेकिन नीचे गिरने में बिल्कुल समय नहीं लगता।"

सामंत का मानना है कि शॉ का सफ़र अभी ख़त्म नहीं हुआ है और उसे अब इस बैन को भूल कर दमदार वापसी करने पर ध्यान देना चाहिये।

"उसे अब सिर्फ अपने क्रिकेट के बारे में सोचना होगा। उसे अपनी फिटनेस पर ध्यान देना होगा, और उसका पूरा ध्यान इस बात पर होना चाहिये, कि कैसे वह भारतीय टीम में दमदार वापसी कर सकता है।

"जब आपका समय ख़राब हो, तो कई बार हर चीज़ आपके ख़िलाफ़ जाने लगती है। ऐसा भी हो सकता है कि आठ महीने बाद उसे फिर से खेलने का मौका मिले, वह अच्छा नहीं खेल पाये और उसका करियर वहीं से डूबने लग जाये।

"इसलिये, उसे इस ठोकर को एक सीख की तरह देखना चाहिये। उसे सही राह चुनने की कोशिश करनी चाहिये और सोचना चाहिये कि वह दुबारा उठने के लिये क्या कर सकता है। अगर उसका दिमाग़ उसके नियंत्रण में रहा, तो उसका भविष्य उज्जवल होगा, वर्ना चीज़ों को बिगड़ते देर नहीं लगती," उन्होंने कहा।

हालांकि उनका बैन नवंबर 15 को ख़त्म हो रहा है, लेकिन शॉ अपनी मुंबई टीम के साथ ट्रेनिंग 15 सितंबर से शुरू कर सकते हैं।

सामंत का कहना है कि खेलने या अभ्यास करने न दिया जाना एक क्रिकेटर के लिये सबसे बड़े दुःख की बात होती है। लेकिन शॉ को करीबी से जानने के कारण उन्हें विश्वास है कि यह युवा खिलाड़ी मानसिक रूप से बेहद मज़बूत है और वह ज़रूर फिर से ज़ोरदार वापसी करेगा।

"बैन से उसे तकलीफ़ तो होगी। वह अभी निराश होगा, लेकिन मैंने देखा कि बैन के बाद उसने कहा, कि हर कोई मेरा सहयोग कर रहा है और मैं जल्द ही वापसी करूंगा। यह एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है कि वह वापसी करने के लिये तैयार है, क्योंकि अगर उसने वापसी की ठान ली, तो वह भारतीय टीम में जगह बनाने के लिये भी कड़ी मेहनत करेगा।

"वह मानसिक रूप से बेहद मज़बूत है, क्योंकि बहुत ही कम उम्र में वह भारत के लिये खेल चुका है। अगर आप मानसिक रूप से मज़बूत न हों, तो आप इतनी ऊंचाई तक पहुंच ही नहीं सकते," सामंत ने कहा।

पिछले कुछ महीनों में कई बार नियम तोड़ चुके शॉ को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि उसे अपनी गलतियों से सीखना चाहिये, उन्हें दुहराना नहीं चाहिये।

"मैं चाहता हूं कि वो अपनी ग़लतियों से सीखे और भविष्य में उन्हें दुहराये नहीं। उसे बहुत ज़्यादा ध्यान देना होगा, पहले से भी कहीं ज़्यादा। प्रतिस्पर्धा बहुत ज़्यादा होने के कारण भारतीय टीम से एक बार बाहर निकलने पर दुबारा अपनी जगह बनाना बेहद मुश्किल है। उसकी उम्र बहुत कम है और उसके पास अपने करियर को सुधारने के लिये काफ़ी समय है," उन्होंने कहा।

सामंत का मानना है कि सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर जैसे महान खिलाड़ी मुंबई के खिलाड़ियों की मदद के लिये हमेशा उपलब्ध रहते हैं और जल्द ही दोनों में से कोई शॉ से मिलकर उसे सही राह ज़रूर दिखायेगा।

"मुंबई के सभी पुराने और वर्तमान खिलाड़ी हमेशा एक-दूसरे की मदद के लिये तैयार रहते हैं। मुझे जानकारी है कि सचिन तेंदुलकर ने पहले भी पृथ्वी से बात की है और ज़रूरत पड़ने पर भविष्य में भी वे उससे बात करेंगे और उसे सलाह ज़रूर देंगे। सचिन हमेशा मुंबई के खिलाड़ियों के लिये उपलब्ध रहते हैं और बात-चीत के द्वारा उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं और सुनील गावस्कर और दिलीप वेंगसरकर सर जैसे पुराने महारथी भी उनकी सहायता करते हैं," उन्होंने बताया।  

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