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'हर क्रिमिनल लॉयर राम जेठमलानी बनना चाहता है'

By ए गणेश नाडार
September 14, 2019 23:36 IST
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'उनके जैसा कोई नहीं सोच सकता। उन्हें सुनना हमारा सौभाग्य था। वह बेहद बारीकी से बहस करते हैं। हमने उन्हें सुन कर बहुत कुछ सीखा है।'

कानून जगत्‌ के भीष्म पितामह कहे जाने वाले जाने-माने आपराधिक वकील जेठमलानी का रविवार, 8 सितंबर को निधन हो गया।

पी शन्मुगासुंदरम, मद्रास हाइ कोर्ट के एक वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर ने श्री जेठमलानी के साथ लंबे समय तक काम किया है।

मद्रास बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की लीगल विंग के प्रमुख, शन्मुगासुंदरम तमिलनाडु सरकार के सरकारी वकील रहे हैं, और इस पद पर कभी वह जेठमलानी के ख़िलाफ़ तो कभी उनके साथ मुकदमे लड़ चुके हैं।

जेठमलानी को याद करते हुए, शन्मुगासुंदरम, ने रिडिफ़.कॉम के ए गणेश नाडार को बताया,"उनके विद्यार्थी हमेशा उन्हें शिक्षक के रूप में याद रखेंगे, राज्य सभा के सदस्य उन्हें सहकर्मी के तौर पर याद करेंगे। लेकिन आम जनता के लिये वह हमेशा एक प्रसिद्ध वकील रहेंगे।"

हर क्रिमिनल लॉयर राम जेठमलानी बनना चाहता है। पहली बार उनसे मेरी बातचीत मई 1981 में हुई। वह मेरे शिक्षक थे। ऑल इंडिया बार काउंसिल दंड विधि पर एक क्लास ले रहे थे, और तमिलनाडु बार काउंसिल ने मुझे भेजा था।

राम जेठमलानी और मेरे गुरू एन नटराजन वहाँ शिक्षक थे। हमारी वहाँ काफ़ी दोस्ताना लहज़े में बातचीत होती थी। बातचीत सुबह बैडमिंटन कोर्ट में शुरू होती थी। हालांकि वे उम्र में मुझसे बड़े थे, लेकिन मैं कोर्ट में उन्हें टक्कर नहीं दे पाता था।

शाम की क्लासेज़ के बाद हम उनसे बार में मिलते थे। यह हैदराबाद के प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय की बात है। वो बार में घुसते ही कहते थे, 'बार में बैठे सभी लोगों के लिये ड्रिंक्स का अगला राउंड मेरी तरफ़ से।' वह बेहद आसानी से घुल-मिल जाते थे। हम सिर्फ कानून के बारे में ही नहीं, और भी कई चीज़ों के बारे में बात करते थे।

उनके साथ मेरी अगली मुलाकात अदालत में हुई। मैं तिरुचि प्रेमानंदा केस में सरकारी वकील था। उसमें 12 बलात्कार और दो मौतें शामिल थीं, कुल मिलाकर 14 मुद्दे थे। वह बचाव पक्ष के वकील के रूप में पुदुकोट्टइ गये थे। मामले के नतीजे में दो आरोप साबित हुए और दो को आजीवन कारावास सुनाई गयी।

वे ट्रायल कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ मद्रास उच्च न्यायालय गये। मैं सरकारी वकील था। उस केस में कई तरह के मुद्दे थे, जिन्हें लेकर निचली अदालत पर उन्होंने सवाल उठाये थे। आखिरकार प्रेमानंदा हार गया और उसे जेल हो गयी।

इसके बाद आई दीनामलार अखबार के ख़िलाफ़ दीनामणि अख़बार के केस की बारी, जिसमें मैं अभियोगी पक्ष से था और वे अभियुक्त पक्ष से।

1999 में वह केंद्रीय कानून मंत्री थे और मैं उनसे कई बार मिला। बंगलुरू न्यायालय द्वारा जयललिता को दोषी ठहराये जाने के बाद, मैं उस मामले का सरकारी वकील था, मैंने न्यायालय से आदेश लिये और पूरी रात मामले को समझने में बिताई, क्योंकि मुझे पता था कि अगले ही दिन राम जेठमलानी आदेश के ख़िलाफ़ अपील करेंगे।

तो अगले दिन उच्च न्यायालय में जज साहब ने मुझसे पूछा कि मैं तैयार हूं या नहीं और मैंने कहा, 'हाँ', तो जज साहब हैरान रह गये। उच्च न्यायालय ने निचली न्यायालय के फ़ैसले का समर्थन किया।

2002 में जेठमलानी राज्य सभा में मेरे सहकर्मी थे। मुझे लगता है उन्हें वहाँ आठ बार चुना गया था। उनके भाषण लाजवाब हुआ करते थे। उनका नज़रिया हमेशा औरों से अलग होता था। वह हर मुद्दे को अलग तरह से देखते थे।

उनकी तरह कोई नहीं सोच सकता। वह कई सामाजिक मुद्दों पर बात करते थे। उन्हें सुनना हमारा सौभाग्य था। वह अपनी बहस बेहद बारीकी से करते थे। हमने उन्हें सुनकर बहुत कुछ सीखा है।

संसद भवन में वह अदालत वाले जेठमलानी से बिल्कुल अलग थे। उनके भाषण हमेशा सोच कर तैयार किये हुए होते थे। वह सचमुच बड़े ही प्यारे इंसान थे।

Noted criminal lawyer R Shanmugasundaram. Photograph: A Ganesh Nadar/Rediff.com

फोटो: जाने-माने क्रिमिनल लॉयर आर शन्मुगासुंदरम। फोटोग्राफ: Ganesh Nadar/Rediff.com

वकील के रूप में उनकी ख़ूबियाँ: उन्होंने दंड विधि कानून में कई नयी शुरुआतें की हैं। वे एक मुख्य मंत्री पर निजी मुकदमा दर्ज करने वाले पहले व्यक्ति थे, उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यंत्री के ए आर अंतुले पर मुकदमा किया था। इस केस में वे उच्च न्यायालय के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय में भी गये।

अब मुख्यमंत्री को दोषी ठहराने के लिये आपको राज्यपाल की अनुमति लेनी पड़ती है, जिन्हें कैबिनेट की सलाह लेनी पड़ती है, जिसका प्रमुख वही मुख्य मंत्री होता है।

इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर राज्यपाल को अपना निर्णय ख़ुद लेना था। तब से आज तक मुख्य मंत्री पर कोई भी मुकदमा होने पर इस नियम का पालन किया जाता है।

मैं जब छः साल का था, तभी वे प्रसिद्ध हो चुके थे, क्योंकि वे नानावटी मामले में बचाव पक्ष से थे।

युवा वकीलों को जेठमलानी से कौन सी बातें सीखनी चाहिये: सबसे पहले तो, आपको कड़ी मेहनत करनी चाहिये। आपको हर चीज़ की बारीकी से जाँच करनी चाहिये। 2जी घोटाले में हमने साथ काम किया था, उन्होंने बेहद ठोस बहस पेश की थी।

उनके द्वारा जीते गये प्रसिद्ध मामले अनेक हैं, लेकिन मैं 2जी केस की बात करूंगा क्योंकि इसमें सरकारी पक्ष सुर्ख़ियों में था।

किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त का बचाव करने पर नैतिकता का सवाल ज़रूर उठता है, लेकिन मैं साफ़ कहना चाहूंगा कि हम यहाँ नैतिकता सिखाने नहीं आये हैं।

हमारे अपने विश्वास होते हैं, जैसे मैं ऑनर किलिंग (मान हत्या) का मामला कभी नहीं लूंगा। हमें लोगों पर अपने फैसले सुनाने का हक़ नहीं है। मैं कोई केस तभी लेता हूं जब मेरी अंतरात्मा इसकी अनुमति देती है।

उन्होंने मुझे कैसे प्रभावित किया है: मैं उनके सिखाने के तरीके से बेहद प्रभावित हूं। उन्होंने हमें बताया कि वकील भी इंसान होता है। वह हमेशा पिछड़े वर्गों के उद्धार की बात करते थे। कई वकीलों के ख़िलाफ़ होने के बावजूद उन्होंने मंडल आयोग का समर्थन किया।

राजनीति में शामिल बड़े वकील होने के नाते, कानून हमेशा मेरी प्राथमिकता रहेगी, जब तक यह मेरे राजनैतिक विचारों का समर्थन करे। अगर यह मेरे राजनैतिक विचारों के ख़िलाफ़ हो तो मैं अदालत में उसपर मुकदमा कर दूंगा।

इसी प्रकार, संसद में जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी, तब राम जेठमलानी ने सरकार पर सवाल उठाये थे।

उनकी धरोहर: उनके विद्यार्थी हमेशा उन्हें शिक्षक के रूप में याद रखेंगे, राज्य सभा के सदस्य उन्हें सहकर्मी के तौर पर याद करेंगे। लेकिन आम जनता के लिये वे हमेशा एक प्रसिद्ध वकील रहेंगे।

जेठमलानी के साथ मेरी सबसे यादग़ार बात: मई 1981 में जब हैदराबाद के प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय में हम उनके विद्यार्थी थे, तब उनका हमारे प्रति व्यवहार बहुत ही ख़ास था। हमने उनके साथ 10 दिन बिताये थे। उन्होंने योरे के महाराजाओं की मज़ेदार कहानियाँ हमारे साथ साझा कीं। 

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