'जब टीम लड़खड़ा रही हो, तो वह आगे आकर महत्वपूर्ण पारी ज़रूर खेलता है।'
फोटो: हनुमा विहारी जमैका में वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ दूसरे टेस्ट में अपने पहले शतक की ख़ुशी मनाते हुए। फोटोग्राफ: BCCI
भारत के वेस्ट इंडीज़ दौरे पर एक नया सितारा उभर कर आया, हनुमा विहारी।
आंध्रा के इस दायें हाथ के बलेल्बाज़ ने दो टेस्ट की सीरीज़ में एक शतक और दो अर्धशतक जड़ कर 96 के औसत के साथ 289 रन बनाये, और सीरीज़ में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बने।
विहारी के मिजाज़ से सभी प्रभावित हुए, जिसने रोहित शर्मा की जगह नं 6 पर चुने जाने के बाद मिले मौके का पूरा लाभ लिया।
इस 25 वर्षीय खिलाड़ी ने पिछले साल इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपने पहले टेस्ट में अर्धशतक से शुरुआत की थी, जिसके बाद उसने ऑस्ट्रेलिया में लगातार कुछ छोटी पारियाँ खेलीं, लेकिन करिबियन में मिले मौके को उसने हाथ से नहीं जाने दिया।
उसके बचपन के कोच जॉन मनोज ने बहुत पहले ही उसके सफल होने की भविष्यवाणी की थी।
"मैंने बहुत पहले ही कहा था कि विहारी हमारी क्रिकेट अकेडमी से अगला वी वी एस लक्ष्मण बनने वाला है," मनोज ने हरीश कोटियन/रिडिफ़.कॉम से कहा।
"उसकी लगन, जुनून, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत छोटी उम्र में ही दिखाई देने लगी थी। वो हमेशा दिन में 300-400 बॉल खेलने की कोशिश करता था," मनोज ने बताया, जब उनसे इस भविष्यवाणी का कारण पूछा गया।
मनोज की अकेडमी -- सिकंदराबाद में स्थित सेंट जॉन्स क्रिकेट अकेडमी -- बेहद प्रतिभाशाली वी वी एस लक्ष्मण के प्रशिक्षण के लिये जानी जाती है। यहाँ से निकले अन्य प्रशिक्षार्थियों में एम एस के प्रसाद, भारत के मौजूदा चीफ़ सेलेक्टर और भारतीय महिला क्रिकेट की दिग्गज मिताली राज शामिल हैं।
फोटो: हनुमा विहारी सिकंदराबाद की सेंट जॉन्स क्रिकेट अकेडमी में अपने बचपन के कोच जॉन मनोज के साथ। फोटोग्राफ: St John's Cricket Academy/Facebook के सौजन्य से
मनोज को याद है कि विहारी 11 साल पहले उनकी अकेडमी में शामिल हुआ था, और उन्होंने सेंट ऐंड्र्यूज़ स्कूल में दाखिला पाने में उसके परिवार की मदद की थी, जहाँ वह डायरेक्टर ऑफ़ स्पोर्ट्स के पद पर कार्यरत थे।
"उसके पिता मेरे पास आये और उन्होंने मुझे विहारी का दाखिला सेंट ऐंड्र्यूज़ स्कूल में कराने का आग्रह किया, क्योंकि उसके परिवार के लिये तब पढ़ाई और स्कूल की फ़ीस भरना मुश्किल हो रहा था। मैंने उसके माता-पिता से निश्चिंत रहने के लिये कहा और मैंने स्कूल में दाखिले की व्यवस्था कर दी," उन्होंने याद किया।
मनोज के प्रशिक्षण में, विहारी जल्द ही स्कूल क्रिकेट में अपनी पकड़ जमाने लगा, जहाँ उसने सैंकड़ों रन ठोके और जल्द ही टीम का कप्तान बन गया।
एक साल बाद पिता की मौत इस युवा खिलाड़ी के लिये एक बड़ा झटका बन कर आई। लेकिन इस दुःख की घड़ी ने उसके इरादे और भी बुलंद कर दिये और उसके दो दिन बाद ही उसने एक अर्धशतक लगाया।
"12 वर्ष की उम्र में ही उसने अपने पिता को खो दिया। सबसे ज़्यादा प्रभावशाली बात यह है कि पिता की मौत के दो दिन बाद ही उसने 82 रन बनाकर अपनी स्कूल टीम के लिये जीत हासिल की; ऐसा जज़्बा शायद ही कभी देखने को मिलता है।"
2010 में पहली बार फर्स्ट क्लास क्रिकेट की शुरुआत करते हुए, विहारी कुछ साल तक घरेलू क्रिकेट में हैदराबाद के लिये खेलता रहा, जिसके बाद 2016 में उसने आंध्रा का रुख़ किया, इस कदम से उसे कई लाभ मिले।
आंध्रा के पुराने खुलाड़ी एम एस के प्रसाद चयन समिति के अध्यक्ष बन गये और जल्द ही घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाने वाले विहारी को टेस्ट टीम में चुन लिया गया।
मुहम्मद अज़हरुद्दीन और वी वी एस लक्ष्मण जैसे हैदराबाद के पुराने महान खिलाड़ियों से उसकी तुलना होना कोई हैरानी की बात नहीं है।
मनोज का कहना है कि विहारी भले ही उन दोनों खिलाड़ियों जैसा स्टाइलिश या मज़ेदार न हो, लेकिन टेस्ट में वह अपनी पहचान ज़रूर बना सकता है।
"विहारी की ताक़त है उसका डिफेंस। अज़हरुद्दीन और लक्ष्मण की भी अपनी-अपनी ताकतें थीं और बल्लेबाज़ी का अपना स्टाइल था। लक्ष्मण की कलाई में जादू था, अज़हरुद्दीन की भी अपनी ख़ासियत थी, वह गेंद को ऑफ़-स्टंप से स्क्वेयर लेग पर खेल सकते थे।"
फर्स्ट क्लास मैचेज़ में उसका औसत 60 से 75 के बीच है -- जो कि दुनिया के सक्रिय खिलाड़ियों में से सबसे ज़्यादा है -- जो विराट कोहली (53), स्टीव स्मिथ (59) या चेतेश्वर पुजारा (53) जैसे खिलाड़ियों से कहीं ज़्यादा है, और इसका पूरा श्रेय जाता है बल्लेबाज़ी में उसके अनुशासन को।
"विहारी को ख़ास तौर पर V में खेलना पसंद है (मिड-ऑफ़ और मिड-ऑन के बीच सीधा खेलना)। वह और भी शॉट्स खेलता है, जैसे कवर ड्राइव, स्क्वेयर कट, ऑन-ड्राइव, स्वीप शॉट और ज़रूरत होने पर वह ऊंचे शॉट भी खेल सकता है," मनोज ने बताया।
उन्होंने बताया कि विहारी की एक शानदार ख़ूबी उसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बहूत आगे ले जा सकती है, जो है दबाव में अच्छा खेलने की क्षमता।
"मैं बताना चाहूंगा कि विहारी एक ऐसा बल्लेबाज़ है, जो दबाव में खेलना पसंद करता है। जब टीम लड़खड़ाती है, तो वह आगे आकर महत्वपूर्ण पारी ज़रूर खेलता है, क्योंकि उसे चुनौतियाँ पसंद हैं; और यह बचपन से ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
"खेलते समय बस एक ही बात उसके दिमाग़ में रहती है, अपना विकेट बचाना। उसकी अलग सोच है। लेकिन साथ ही, वह कमज़ोर डिलिवरी पर बेहद आक्रामक खेलता है और गैप्स ढूंढने तथा सिंगल लेकर स्ट्राइक बदलने में माहिर है। इसलिये उसे बांध कर रखना मुश्किल है," उन्होंने आगे बताया।
फोटो: हनुमा विहारी जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सिडनी टेस्ट के दौरान बल्लेबाज़ी करते हुए। फोटोग्राफ: Cameron Spencer/Getty Images के सौजन्य से
विहारी ने वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ अपने पहले टेस्ट शतक से कुछ रनों से चूक जाने के बाद अपने कोच से बात की थी, लेकिन अपनी लगन के बलबूते पर उसने अगले ही मैच में शतक जड़ दिया।
"उन 93 रनों से उसने सीखा कि टेस्ट शतक कैसे लगाया जा सकता है। हालांकि 93 रन बनाने पर भी वह जल्दी में नहीं था, लेकिन कभी-कभी क़िस्मत भी आपका साथ नहीं देती। उसके बाद, अगले मैच में, 82 से 86 से स्कोर पर पहुंचने में उसने लगभग 40 मिनट लगाये। दूसरे छोर से ईशांत शर्मा ने भी उसका अच्छा साथ दिया, जिसने अच्छी बल्लेबाज़ी की थी।
"शतक से चूकने पर मैंने उसे मेसेज करके कहा था कि 'अगला मौका और अगला मैच तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है' और वही हुआ!
"मैं उसके शतक से काफ़ी ख़ुश हूं। हमें इस दिन का इंतज़ार था क्योंकि देश के लिये शतक लगाना बड़ी बात होती है और विदेश में शतक लगाना और भी ख़ास बात है," मनोज ने कहा।
विहारी ने अब तक खेले छः टेस्ट्स में पाँच विकेट चटकाये हैं, जिसमें से पिछले साल अपना अंतिम टेस्ट खेलते ऐलस्टेयर कुक का विकेट शामिल है। उसकी गेंदबाज़ी उसकी एक और ख़ूबी है, मनोज का मानना है, और वह भारतीय स्थितियों में आसानी से स्पिन गेंदबाज़ी कर सकता है।
"विहारी के लिये, उसकी गेंदबाज़ी और फील्डिंग दोनों बड़े प्लस पॉइंट हैं। मुझे लगता है कि उसे नेट्स में और भी ज़्यादा गेंदबाज़ी करनी चाहिये और गेंदबाज़ी पर ध्यान देना चाहिये। विराट कोहली को उसकी गेंदबाज़ी में विश्वास है, जिसने इंग्लैंड में उसका बख़ूबी इस्तेमाल किया, जहाँ उसे विकेट्स मिले। भारतीय स्थितियों में आप विहारी को तीसरा स्पिनर बनाने की सोच सकते हैं।"
फिलहाल, अपने शाग़िर्द के लिये मनोज का लक्ष्य साफ़ है: भारतीय ODI टीम में अपनी जगह बनाना और भारत में खेले जाने वाले 2023 विश्व कप की टीम का हिस्सा बनना।
"उसे एक समान प्रदर्शन करने की ज़रूरत है। बतौर कोच, और उसे करीबी से जानने वाला इंसान होने के नाते, मैं चाहूंगा कि वह 2023 विश्व कप को अपना लक्ष्य बना कर चले, क्योंकि यह विश्व कप भारत में होगा। भारत को ODI टीम में उसके जैसे दमदार मध्य क्रम के बल्लेबाज़ की ज़रूरत पड़ेगी और वह कुछ ओवर्स की गेंदबाज़ी भी कर सकता है।"