Rediff.com« Back to articlePrint this article

सलमान के टीचर ने क्यों मारा उन्हें थप्पड़...

March 29, 2019 15:49 IST

'जब मेरे स्कूल प्रिंसिपल ने सुना कि मैंने कॉलेज में साइंस ले लिया है, तो उन्होंने मुझे ज़ोर का थप्पड़ लगा दिया।'
'मैंने उन्हें बताया था कि मेरी दिलचस्पी आर्ट्स में है।'
'उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं।'
'जब मैंने मना किया, तो उन्होंने पूछा कि फिर मैंने साइंस लिया क्यों।'
'मेरे पिताजी ने कहा था कि अगर मैं दो महीने से ज़्यादा साइंस में टिक गया तो वो अपना नाम बदल लेंगे।'

Salman Khan

फोटोग्राफ: Salman Khan/Instagram के सौजन्य से

क्या आप जानते हैं कि सलमान खान पहले नोटबुक  में काम करने वाले थे?

लेकिन उन्होंने बताया कि उनकी बदली हुई इमेज के कारण उन्होंने इस काम को नहीं लिया।

और यह नये अभिनेता ज़हीर इक़बाल की लॉन्च पैड बन गयी।

इस फिल्म में काजोल की ख़ूबसूरत भतीजी, प्रनूतन बहल भी हैं।

"यह ग़लत है कि हम हमारी स्क्रिप्ट्स के आधार पर ऐक्टर्स को लॉन्च करते हैं। हम उन्हें ऐसी फिल्मों में लॉन्च करते हैं, जिनमें अपनी बदली इमेज के कारण मैं काम नहीं कर सकता," ख़ान ने रिडिफ.कॉम के संवाददाता रमेश एस. को बताया।

नोटबुक  थाइ फिल्म टीचर्स डायरी  की एक रीमेक है। क्या आपने ओरिजिनल मूवी देखी है?

नोटबुक  टीचर्स डायरी  से कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत है।

प्लॉट वही है, लेकिन थाइ फिल्म को हिंदी में बनाना संभव नहीं है, तो हमने इसपर काफी मेहनत की है।

हमारी फिल्म कश्मीर पर आधारित है और वहीं शूट की गयी है, इसलिये हमने इसकी लव स्टोरी को पूरी तरह बदल दिया है।

हर फिल्म में एक लव स्टोरी होती है। दबंग  और वॉन्टेड  जैसी मेरी ऐक्शन फिल्मों में भी ख़ूबसूरत लव स्टोरीज़ थीं।

अगर आपकी फिल्म में कोई लव स्टोरी नहीं है, तो फिल्म चलने वाली नहीं है।

ये हर फिल्म के लिये ज़रूरी है।

नोटबुक  के लिये आपने क्या सुझाव दिये?

मैं ज़बर्दस्ती श्रेय नहीं लेना चाहूंगा, क्योंकि इससे कई बार माहौल बिगड़ता है।

यह फिल्म मेरे पास बहुत पहले आयी थी और तब मुझे यह फिल्म बतौर ऐक्टर ऑफ़र की गयी थी।

लेकिन अब मेरी इमेज बदल चुकी है, और इसलिये मैं इसे नहीं कर सकता।

जैसे, जब सुभाष घई जी मेरे पास युवराज  के लिये आये थे, तब मैं उनकी फिल्म हीरो का रीमेक करना चाहता था।

उन्हें इसमें दिलचस्पी नहीं थी, और बाद में हमने हीरो  में सूरज (पंचोली) को लॉन्च किया।

इसलिये यह ग़लत है कि हम हमारी स्क्रिप्ट्स के आधार पर ऐक्टर्स को लॉन्च करते हैं। हम उन्हें ऐसी फिल्मों में लॉन्च करते हैं, जिनमें अपनी बदली इमेज के कारण मैं काम नहीं कर सकता।

नोटबुक  को ज़रूरत थी एक नये जोड़े की।

हमने ज़हीर (इक़बाल) और प्रनूतन (बहल) को उनके स्टार माता-पिता की वजह से नहीं लिया है।

उन्होंने अपने किरदार में आने के लिये छः-आठ घंटे लगातार मेहनत की है।

असल में मैंने प्रनूतन का ऑडीशन देखा था और उसका काम देख कर दंग रह गया था।

मैंने मोहनीष (बहल, प्रनूतन के पिता) को कॉल किया और नोटबुक  के साथ उनके पास गया।

Pranutan Bahl with Zaheer Iqbal in Notebook

फोटो: प्रनूतन बहल ज़हीर इक़बाल के साथ नोटबुक  में।फोटोग्राफ: Salman Khan/Instagram के सौजन्य से

क्या आपके पिता सलीम ख़ान ने इसमें कोई सुझाव दिये हैं?

उन्हें हर स्क्रिप्ट पता होती है।

हम उनके साथ अपनी फिल्म के प्लॉट की चर्चा करते हैं और फिर उन्हें रशेज़ भी दिखाते हैं।

उसके बाद वो अपने सुझाव देते हैं, कि इसमें क्या डाला जाना चाहिये, क्या निकाला जाना चाहिये।

इसके म्यूज़िक की बहुत तारीफ़ हो रही है।

हम म्यूज़िक पर हमेशा ध्यान देते हैं। हीरो  और लवयात्री  जैसी फिल्मों का म्यूज़िक बेहद मज़ेदार था।

आपका मनपसंद गाना कौन सा है?

बुमरो बुमरो। ये उन दिनों का एक सुपरहिट गाना था, और अब नोटबुक  में और भी ख़ूबसूरत लग रहा है।

Zaheer sings Bumro Bumro

फोटो: ज़हीर बुमरो बुमरो गाते हुए।फोटोग्राफ: Salman Khan/Instagram के सौजन्य से

आप न्यूकमर्स को लॉन्च करने के लिये जाने जाते हैं। इन न्यूकमर्स में ऐसी क्या ख़ास बात है?

मैंने बचपन से यही सीखा है हर किसी को एक डबल टेक का हक़ है।

जब आप किसी कमरे में जायें, तो सबकी नज़र आप पर होनी चाहिये। अगर ऐसा नहीं होता, तो आप इस इंडस्ट्री में अपने पैर नहीं जमा सकते।

मेरे पिता ने हमेशा मुझे सिखाया कि लोगों की नज़र में आने के लिये किसी मेहनत की ज़रूरत नहीं होनी चाहिये।

इन न्यूकमर्स में वो बात है।

वो जब सामने आये, तो मेरी नज़रें उनकी ओर खिंचीं। जो कि एक बड़ी बात है।

आप आज के ऐक्टर्स को क्या सलाह देना चाहेंगे?

लफड़ों से दूर रहो!

Photograph: Kind courtesy Salman Khan/Instagram

फोटोग्राफ: Salman Khan/Instagram के सौजन्य से

क्या आपने कभी कोई नोटबुक या पर्सनल डायरी लिखी है?

मुझे याद है जब मैंने पर्सनल डायरी लिखना शुरू किया था। मैंने उसमें कुछ ज़्यादा ही सच लिखे थे।

फिर मुझे लगा कि कहीं मेरा सच दूसरों की परेशानी का कारण न बन जाये, तो मैंने इसे दुबारा लिखा।

फिर मुझे लगा कि इस दुबारा लिखी डायरी से मैं ही मुश्किल में पड़ जाऊंगा। तब से मैंने पर्सनल डायरी लिखना बंद कर दिया!

नोटबुक  के दोनों ही लीड कैरेक्टर्स टीचर बने हैं। क्या आप अपने टीचर्स के साथ संपर्क में हैं?

मैं फादर हेनरी के साथ जुड़ा हुआ हूं, जिनकी आँखों की रोशनी चली गयी है। वो माज़गाँव (साउथ मुंबई) में रहते हैं।

फिर, डी'सूज़ा टीचर हैं, और हमें PT (फिज़िकल ट्रेनिंग) सिखाने वाले पांडे सर भी जुड़े हुए हैं।

मेरे मनपसंद टीचर्स वही हैं जिन्होंने मेरी सबसे ज़्यादा पिटाई की है, क्योंकि सबसे ज़्यादा मैंने उन्हीं से सीखा है।

मैं अपने स्कूल प्रिंसिपल के साथ भी संपर्क में था, और उन्होंने भी मेरी पिटाई की है। मुझे याद है वो दिन जब मैंने सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में साइंस स्ट्रीम में दाखिला लिया था।

मेरे पिता को इससे बड़ी हैरानी हुई और उन्होंने कहा कि अगर मैं दो महीने से ज़्यादा साइंस में टिक गया तो वो अपना नाम बदल लेंगे।

जब मेरे स्कूल प्रिंसिपल ने सुना कि मैंने साइंस ले लिया है, तो उन्होंने मुझे ज़ोर का थप्पड़ लगा दिया क्योंकि मैंने उन्हें एक बार बताया था कि मेरी दिलचस्पी आर्ट्स में है।

उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मुझे डॉक्टर बनना है। जब मैंने मना किया, तो उन्होंने पूछ कि फिर मैंने साइंस लिया क्यों।

हमारा रिश्ता ऐसा ही था।

अफ़सोस की बात है कि आज वो हमारे बीच नहीं हैं।

Salman's parents Salma and Salim Khan with his niece Alizeh. Photograph: Kind courtesy Salman Khan/Instagram

फोटो: सलमान के माता-पिता सलमा और सलीम ख़ान उनकी भांजी अलीज़े के साथ।फोटोग्राफ: Salman Khan/Instagram के सौजन्य से

फिल्म इंडस्ट्री में आपका टीचर कौन है?

मेरे पिता।

असल में, मेरे पिता से भी ज़्यादा, मेरी माँ।

मैंने स्क्रिप्टिंग जैसे कई हुनर अपने पिता से सीखे हैं।

स्क्रिप्टिंग में सिर्फ तीन चीज़ें होती हैं -- ये नैतिकता, मूल्यों और सिद्धांतों पर खरी उतरनी चाहिये।

आपको ज़्यादा मज़ा किस काम में आता है: फिल्म प्रोड्यूस करना या ऐक्टिंग?

दोनों!

फिल्म प्रोड्यूस करना ज़्यादा मेहनत का काम है क्योंकि इसमें आपको हर चीज़ का ध्यान रखना पड़ता है -- स्क्रिप्टिंग, म्यूज़िक, रशेज़ को देखना, फाइनल एडिट...

इसमें बहुत ज़्यादा मेहनत लगती है, क्योंकि आप दूसरी फिल्मों में काम करने के साथ-साथ अपने प्रॉडक्शन के काम पर भी ध्यान दे रहे होते हैं।

क्या आप कभी डायरेक्ट भी करेंगे?

मैं अपना करियर डायरेक्शन से शुरू करना चाहता था, लेकिन वो हो नहीं पाया। थैंक गॉड!

क्या आपको लगता है कि आपकी कुछ फिल्में अगर त्यौहारों पर रिलीज़ न हों, तो उन्हें बेहतर रेस्पाँस मिलेगा?

हाँ। जैसे हमें ट्यूबलाइट  की कहानी पता थी और मैंने कहा था कि यह ईद पर रिलीज़ नहीं होनी चाहिये। मैंने कहा कि ईद एक त्यौहार है और लोग थियेटर्स में थोड़े सुकून और मस्ती के लिये जाते हैं।

हमने फिल्म की दूसरी रिलीज़ डेट मांगी थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

लोग ईद की खुशी मनाने थियेटर्स गये थे, लेकिन रोते हुए बाहर आये।

अब, लोग इसे टेलीविज़न पर देख कर पसंद कर रहे हैं।

रमेश एस.