'अगर आप व्यापार के लिये गाय रखना चाहते हैं, तो उसे अपने कम्पाउंड या अपने घर में रखें, उन्हें सार्वजनिक स्थलों पर न बांधें।'
हाल ही में लावारिस गाय के IIT-बॉम्बे के लेक्चर रूम में घुसने की मज़ेदार ख़बर वायरल हुई थी, लेकिन मुंबई के कई हिस्सों में लावारिस गाय-बैलों के उत्पात की गंभीर बात मीम्स के पीछे कहीं छुप गयी।
सड़कों के किनारे बंधे होने से लेकर यहाँ-वहाँ भटकने और ट्रैफिक के साथ-साथ पदयात्रियों की नाक में दम करने वाले गाय-बैल, और उनसे भी ज़्यादा उनके मालिक, आज के वातावरण का लाभ ले रहे हैं, जो जानवरों से जुड़ी हर चीज़ का समर्थन करता है।
आखिरकार बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने मवेशियों के इस उत्पात पर ध्यान देना शुरू किया है और ऐसे मालिकों पर कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है, जो अपने पशुओं को मुंबईकरों पर खुला छोड़ देते हैं।
जुर्माने में भारी वृद्धि के साथ अवैध कार-पार्किंग पर लगाम लगाने के बाद अब देश की सबसे समृद्ध नगरपालिका ने गाय, बैल और घोड़ों को सड़क के किनारे बांधने के जुर्माने को रु 2,500 से बढ़ा कर रु 10,000 करने का प्रस्ताव रखा है।
यह प्रस्ताव भारतीय जनता पार्टी की माटुंगा की नगरसेविका नेहल शाह के आवेदन के बाद आया है, जिन्होंने अधिकारियों का ध्यान शहर के विभिन्न स्थानों पर पोल्स से बंधी गायों की ओर खींचा, जिन्हें उनके मालिक इसलिये सड़क पर बांधते हैं, ताकि ग़ुज़रने वाले लोग उन्हें पैसे दें और जानवर को खाना खिलायें।
सैयद फिरदौस अशरफ़/रिडिफ़.कॉम से बात करते हुए शाह ने बताया कि जानवरों को सड़क पर बांधना एक तरह की क्रूरता है और इसे रोकने के लिये जुर्माने की बड़ी राशि ली जायेगी। "यह कदम उन्हें जानवरों को सड़क पर बांधने से रोकेगा," उन्होंने कहा।
आप मुंबई में फुटपाथ पर अवैध रूप से मवेशियों को बांधने पर जुर्माना बढ़ा कर रु 10,000 क्यों करना चाहती हैं?
मुंबई में फुटपाथ पर पोल से बंधी कई गायें देखी जा सकती हैं। और जानवरों को दिन भर वहीं खड़ा रखा जाता है -- चाहे धूप हो या बरसात।
यह स्थिति जानवर के लिये बेहद अस्वच्छ होती है और साथ ही फुटपाथ के आस-पास रहने वाले लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। जानवरों के बंधे होने के कारण पदयात्री भी फुटपाथ का इस्तेमाल नहीं कर पाते। यही कारण है कि मैंने दंड को रु. 10,000 तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, क्योंकि गाय के ये मालिक व्यापार चला रहे हैं। वे गाय का दूध दुहते हैं और पैसे कमाने के लिये उन्हें मंदिर ले जाते हैं, लेकिन उनका ख़्याल नहीं रखते।
इसलिये इनलोगों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिये या ऐसा कोई कानून होना चाहिये, जो इन लोगों को गंदग़ी फैलाने और पशु स्वास्थ्य का ध्यान न रखने वाले अपने काम के प्रति ज़्यादा जवाबदेह बना सके।
क्या जुर्माने को रु 2,500 से रु 10,000 कर देने से समस्या हल हो पायेगी?
ये लोग बहुत पैसे कमाते हैं और 2,500 रुपये इनके लिये कुछ नहीं हैं।
पहले मुंबई में अवैध पार्किंग के लिये रु 500 का दंड लिया जाता था, जिसे अब रु 10,000 कर दिया गया है, तब से ही लोगों ने 'नो पार्किंग' क्षेत्रों में अपनी कार पार्क करना बंद कर दिया है।
तो, मुझे लगता है कि जुर्माना जितना ज़्यादा होगा, लोग उतना ही ज़्यादा डरेंगे, क्योंकि रु 10,000 भरने के लिये कोई तैयार नहीं होगा। यह कदम उन्हें जानवरों को सड़कों पर बांधने से रोकेगा।
कानून क्या कहता है? क्या कोई भी व्यक्ति गाय या किसी भी अन्य जानवर को सड़क पर ऐसे ही छोड़ सकता है?
अक्सर उनके पास लाइसेंस होते हैं, लेकिन किसके पास क्या लाइसेंस है हमें पता नहीं होता, और फिर न्यायालय ने भी यह आदेश दिया है कि शहर की सीमाओं के भीतर मवेशियों को खुले में नहीं रखा जा सकता।
अब, बृहन्मुंबई महानगरपालिका, यानि कि शहर की नगरपालिका की स्थायी समिति ने ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाने का फ़ैसला किया है जो पशुओं के द्वारा गंदग़ी फैलाते हैं, इन पैसों का इस्तेमाल BMC उस जगह को स्वच्छ रखने और जानवरों का बेहतर ध्यान रखने के लिये करेगी।
और मुझे स्वास्थ्य संबंधी खतरों की ज़्यादा चिंता है, क्योंकि जानवरों को बांधने की जगहें बेहद अस्वच्छ होती हैं।
क्या अभी तक किसी स्वास्थ्य संबंधी ख़तरे की सूचना मिली है?
मेरे क्षेत्र में एक फुटपाथ से मुझे ख़बर आई, जहाँ एक बछड़े को बांधा गया था। लोगों ने शिकायत करते हुए कहा कि एक बछड़ा रात को रंभा रहा था। साथ ही, इससे चारों ओर मक्खियाँ भिनभिनाती रहती हैं, जो कि बरसात में चिंता का विषय हो सकता है।
क्या आपको लगता है कि रु 10,000 का जुर्माना काफ़ी होगा या हमें और सख़्त कानूनों की ज़रूरत है?
सख़्त कानूनों की ज़रूरत तो बेशक़ है क्योंकि आप फुटपाथ जैसी सार्वजनिक जगह पर गाय को नहीं बांध सकते। अगर आप व्यापार के लिये गाय रखना चाहते हैं, तो उसे अपने कम्पाउंड या अपने घर में रखें, उन्हें सार्वजनिक स्थलों पर न बांधें।
लेकिन मंदिरों के पास फुटपाथ पर कई गायों को बंधा हुआ देखा जा सकता है।
फुटपाथ पर गायों को बांधना ग़ैरकानूनी है, क्योंकि गायों के साथ बैठे लोग उन्हें लगातार खाना नहीं खिला सकते। एक घंटे में गाय कितनी घास खा सकती है? हर दो मिनट में गाय घास नहीं खा सकती। ऐसा संभव नहीं है।
लेकिन मंदिरों के पास गाय बांधने का संबंध धार्मिक भावनाओं से भी है, हम इसका विरोध कैसे कर सकते हैं?
मैं धार्मिक भावनाओं को समझती हूं और उनका सम्मान करती हूं। एक जैन होने के नाते मैं यह भी जानती हूं, और हमारे धर्म में लिखा गया है कि अगर आप किसी मवेशी का भला करना चाहते हैं, तो उसे किसी अच्छी गौशाला में डालें और उसका मासिक खर्च उठायें।
यह भावना भी धार्मिक ही है।
क्या आपको लगता है कि यह एक बेहतर विकल्प है?
यह सबसे अच्छा विकल्प है। अगर आपको कोई दिन भर बांध कर रखे और हर आधे घंटे में चारा खिलाये, तो क्या यह सही होगा? इंसान होने के नाते हम विरोध कर सकते हैं, लेकिन इन बेचारे जानवरों का क्या? यह ग़लत है।
क्या मुंबई में फुटपाथ पर बंधने वाली गायों से संबंधित कोई आँकड़ा उपलब्ध है?
मैं आपको पूरे शहर की संख्या तो नहीं दे सकती, लेकिन मेरे माटुंगा वार्ड में कम से कम 25-30 गायें हैं। लोग फुटपाथ पर चल नहीं सकते, और इससे सबसे ज़्यादा परेशानी वरिष्ठ नागरिकों को होती है।
लेकिन नगरसेविका होने के नाते आप इन गायों के मालिकों को दंडित करने की जगह उन्हें समझाने की कोशिश क्यों नहीं करतीं?
इसका कोई फ़ायदा नहीं होता। ये लोग बदलना नहीं चाहते। वो मुझसे कहते हैं, आपका क्या जाता है?
एक औरत ने धमकी दी कि अगर मैंने उसका ग़ैरकानूनी व्यापार रोकने की कोशिश की, तो वो अपनी जान दे देगी और उसकी मौत का ज़िम्मेदार मुझे माना जायेगा।