हाउसफुल 4 सभी के लिये नहीं है। लेकिन अगर आपको ऐसी कॉमेडी फिल्में पसंद हैं, जिनका सूझ-बूझ से *कोई* लेना-देना न हो, तो इसे ज़रूर देखें, नम्रता ठक्कर का कहना है।
अक्षय इस साल पहले ही दो हिट फिल्में दे चुके हैं -- केसरी और मिशन मंगल -- और अब उनकी एक और रिलीज़ हाज़िर है।
लेकिन उन देशभक्ति की फिल्मों से अलग, यह एक बेदिमाग़ कॉमेडी है, जिसका मुख्य प्लॉट है पुनर्जन्म।
फ़रहाद सामजी द्वारा डायरेक्ट की गयी हाउसफुल 4 में रितेश देशमुख, बॉबी देओल, कृति सनन, पूजा हेगड़े और कृति खरबंदा भी हैं।
लेकिन अक्की को सबसे अच्छा रोल और स्क्रीन पर सबसे ज़्यादा समय दिया गया है।
मूवी लंदन में शुरू होती है, जहाँ हैरी (अक्षय) अपने दो भाइयों, रॉय (रितेश) और मैक्स (बॉबी) के साथ हेयरड्रेसर का काम करते हैं।
उन्हें गजिनी वाली बीमारी है, जिसके कारण वो माफ़िया डॉन माइकल भाई (शरद केलकर) के 5 मिलियन पाउंड्स गँवा देते हैं।
इस रकम को चुकाने के लिये तीनों भाई एक प्लान बनाते हैं।
वे पूजा (पूजा हेगड़े), नेहा (कृति खरबंदा) और कृति (कृति सनन) से शादी करने का फ़ैसला करते हैं, जिनके पिता ठकराल (रंजीत) लंदन के एक अरबपति हैं।
जहाँ लड़के तीनों लड़कियों और उनके पिता को प्रभावित कर लेते हैं, वहीं हैरी को पिछले जन्म के कुछ दृश्य दिखने लगते हैं।
फिर तीनों जोड़ियाँ -- हैरी-पूजा, रॉय-नेहा और मैक्स-कृति -- अपनी शानदार डेस्टिनेशन वेडिंग के लिये भारत के सीतमगढ़ के लिये रवाना हो जाती हैं।
तभी हैरी उर्फ़ राजकुमार बाल देव सिंह को 1419 का अपना पिछला जन्म याद आता है।
तो अब कहानी पिछले जन्म में चली जाती है और हमारी मुलाकात राजकुमार बाला, बांगड़ू महाराज (रितेश) और धर्मपुत्र (बॉबी) से होती है।
उन्हें राजकुमारी मधु (कृति), राजकुमारी माला (पूजा) और राजकुमारी मीना (कृति खरबंदा) से प्यार हो जाता है।
लेकिन उनकी कहानी की हैपी एंडिंग नहीं होती और सूर्यभान (शरद केलकर) की वजह से उनकी मौत हो जाती है।
2019 में लौटते हुए, हैरी को समझ में आता है कि वे तीनों ग़लत लड़कियों से शादी कर रहे हैं -- लेकिन पिछले जन्म को तो सिर्फ उसने देखा है!
तो वह सभी चीज़ें ठीक करने का फ़ैसला ले लेता है, ताकि इस बार उनकी कहानी को हैपी एंडिंग मिल सके।
कहानी के हिसाब से हाउसफुल 4 में कुछ नया नहीं है। पुनर्जन्म की कहानियाँ भी बहुत बार दिखाई जा चुकी हैं।
लेकिन मूवी कुछ-कुछ हिस्सों में मज़ा है।
कहानी के फ़्लैशबैक में कुछ मज़ेदार सीक्वेंसेज़ हैं।
अक्षय और रितेश, दोनों ने अपने-अपने किरदार बख़ूबी निभाये हैं।
ख़ास तौर पर रितेश की कॉमिक टाइमिंग और उनके हाव-भाव के कारण उन्हें देखने में सबसे ज़्यादा मज़ा आता है।
बॉबी देओल का अभिनय तो अच्छा है, लेकिन फिल्म में उनका कोई ख़ास योगदान नहीं है।
बाक़ी दोनों लड़कियों के मुकाबले कृति सनन को स्क्रीन पर ज़्यादा समय मिला है, और उनका अभिनय भी काफ़ी अच्छा है।
पूजा और कृति खरबंदा को सिर्फ फिल्म की ख़ूबसूरती बढ़ाने के लिये लिया गया है।
इसके कई मज़ेदार दृश्य आपको 1990 के दशक की फिल्मों की याद दिलायेंगे।
जो कि बेहद बकवास हैं और आपको बिल्कुल हँसी नहीं आयेगी।
चंकी पांडे, जॉनी लीवर, रंजीत और राणा दगुबाती के भी कैमियो हैं, और सब ने अच्छा काम किया है।
राणा देसी खाला ड्रोगो लगते हैं और बहुत ज़्यादा जँच रहे हैं। लेकिन उनका रोल और अभिनय ज़्यादा प्रभावशाली नहीं है!
जॉनी लीवर ने काफ़ी अच्छा काम किया है, लेकिन उन्हें बार-बार एक ही काम करते देख निराशा होती है।
नवाज़ुद्दीन सिद्दिक़ी का कैमियो भी बेहद शानदार है। वह आपको सेक्रेड गेम्स के गायतोंडे की याद दिलायेंगे।
हाउसफुल 4 सभी के लिये नहीं है।
लेकिन अगर आपको ऐसी कॉमेडी फिल्में पसंद हैं, जिनका सूझ-बूझ से *कोई* लेना-देना न हो, तो इसे ज़रूर देखें।
ध्यान दें: हाउसफुल 4 की सबसे ख़ूबसूरत बात है बाला गाना, जो पूरी फिल्म में बैकग्राउंड में चलता रहता है। फिल्म में नील, नितिन और मुकेश नाम के तीन कबूतरों को न भूलें।