'डेटिंग तो दूर की बात है, मुझे तो फिलहाल किसी पर क्रश तक नहीं है,' ख़ूबसूरत अभिनेत्री ने बताया।
रकुल प्रीत सिंह अपनी नयी फिल्म दे दे प्यार दे में अजय देवगन के साथ रोमांस के लिये तैयार हैं, जिसमें तबू उनकी को-स्टार होंगी।
फिल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने कुछ दिलचस्प खुलासे किये।
जैसे, उन्होंने रिडिफ़.कॉम के संवाददाता रमेश एस को बताया, "मेरा किरदार एक बारटेंडर का है, जिसे शराब से प्यार है, और असल में मैं शराब पीती ही नहीं। वड्डी शराबाँ गाने की शूटिंग के दौरान इस बात का काफ़ी मज़ाक बना। (प्रोड्यूसर) लव रंजन सर ने कहा कि मैंने गाने के असर को कमज़ोर कर दिया!"
बॉलीवुड में ब्रेक मिलने के बाद भी अक्सर अभिनेत्रियाँ इंडस्ट्री में खो जाती हैं। और बाद में, वे साउथ की फिल्मों में स्टार बन जाती हैं। आपका इस बारे में क्या कहना है?
हर किसी का अपना सफर होता है।
सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें ज़िंदग़ी से क्या चाहिये और वो किस हद तक चीज़ों के लिये तैयार हैं।
जब मैंने यारियाँ (2014) की थी, तब मैं अपने 20s में थी और बॉलीवुड में बिल्कुल नयी-नयी थी।
मैंने इसे अपनी तेलुगू फिल्म वेंकटाद्री एक्सप्रेस (2013) से पहले शूट किया था।
मुझे खुशी है कि अय्यारी के साथ मैं बॉलीवुड में वापस लौटी, क्योंकि अब मैं बॉम्बे की इस दुनिया के लिये ज़्यादा तैयार हूं और मेरी कलाकारी भी अब ज़्यादा निखर चुकी है।
मैं एक बिल्कुल सीधी-सादी बच्ची थी और बचपन में मुझे ज़्यादा देर टेलीविज़न देखने नहीं दिया जाता था।
कुछ लोगों को लगता है कि बॉम्बे में रहना बड़ी चुनौती भरा काम है, लेकिन मुझे यहाँ की भाग-दौड़ पसंद है।
मुझे काम करने का नशा है।
मुझे उम्मीद है कि लोगों को यहाँ मेरा काम पसंद आयेगा और मैं यहाँ टिक सकूंगी।
दे दे प्यार दे में, आप अपनी दुगुनी उम्र के आदमी को डेट कर रही हैं। क्या आप ऐसा असल ज़िंदग़ी में भी कर सकती हैं?
डेटिंग तो दूर की बात है, मुझे तो फिलहाल किसी पर क्रश तक नहीं है।
बूढ़ा या जवान, अभी तो मेरी ज़िंदग़ी में कोई लड़का नहीं है।
मुझे आकर्षित करने के लिये लड़के को कम से कम 6 फीट लंबा होना चाहिये, क्योंकि मैं लंबी हूं और हील्स पहनती हूं। मुझे उसे झुक कर नहीं देखना।
तो, 90 फ़ीसदी लड़के तो ऐसे ही छँट जाते हैं, क्योंकि वो मुझसे लंबे नहीं होते।
बाकी 10 फ़ीसदी की बात करें, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि वो डेट कर रहे हैं या सिंगल हैं। साथ ही मैं एक ऐक्टर हूं, तो हर कोई मुझसे संपर्क नहीं कर पाता।
लेकिन क्या आप अपनी उम्र से बड़े लड़के को डेट करने की बात सोच सकती हैं?
हाँ, अगर वो मुझसे सात-आठ साल तक बड़ा हो, वर्ना नहीं।
मेरे कई ऐसे दोस्त हैं, जो उम्र का अंतर होने के बावजूद एक-दूसरे के साथ खुश हैं। जैसे मेरी एक सहेली ने अपने पिता से एक साल बड़े लड़के से शादी की है, और दोनों बेहद खुश हैं।
इसलिये मैं उम्र को उतना महत्व नहीं देती।
मैं सच्चे प्यार में विश्वास रखती हूं।
अगर दोनों एक-दूसरे के साथ अच्छे लगते हैं और साथ में खुश हैं, तो किसी को क्या ऐतराज़ हो सकता है?
मैं उम्र के अंतर के बावजूद दो लोगों को साथ में खुश देखना ज़्यादा पसंद करूंगी, न कि दो ऐसे लोगों को, जो सोसाइटी के लिये साथ तो हैं लेकिन रोज़ झगड़ते रहते हैं, एक-दूसरे को धोखा देते हैं और अपने रिश्ते से नाखुश हैं।
आप दे दे प्यार दे के अपने किरदार से कितना ताल्लुक रखती हैं?
मैं वैसी हूं ज़रूर, लेकिन पूरी तरह नहीं।
मेरा किरदार एक बारटेंडर का है, जिसे शराब बेहद पसंद है, और असल में मैं शराब पीती ही नहीं।
जब वड्डी शराबाँ गाने की शूटिंग हो रही थी, तो इस बात का काफ़ी मज़ाक बना।
मैंने शराब पी नहीं थी, लेकिन मैं पियक्कड़ होने का नाटक कर रही थी।
(प्रोड्यूसर) लव रंजन सर ने कहा कि मैंने गाने के असर को कमज़ोर कर दिया (हँसते हुए)!
ऐसी बात नहीं है कि मैंने कभी शराब नहीं पी, लेकिन मैं इससे दूर ही रहना पसंद करती हूं।
शराब नहीं पीना मेरा अपना फैसला है, क्योंकि मैं अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखती हूं।
तबू के साथ काम करके कैसा लगा?
बहुत ही शानदार! तबू और अजय देवगन, दोनों ही!
मैं जब छोटी थी तो सबसे पहले मैंने रुक रुक रुक गाना ही गाया था। उनके साथ एक ही सेट पर काम करने एक अनोखा अनुभव था।
दोनों ही बेहद ज़िंदादिल, स्वीट और मिलनसार हैं।
उन्होंने मुझे कम्फर्टेबल महसूस कराया, जो कि मेरे किरदार के लिये बहुत मायने रखता था, क्योंकि उनकी लव स्टोरी के बीच ही मेरा रोल शुरू होता है।
ऐसी केमिस्ट्री बनाने के लिये अजय सर के साथ मेरा उस तरह का कम्फर्ट लेवल होना ज़रूरी था। साथ ही चालबाज़ी के खेल और डायलॉगबाज़ी के लिये तबू मैम के साथ भी वही कम्फर्ट होना ज़रूरी था।
आप बॉलीवुड और साउथ के बीच काम का बैलेंस कैसे बनायेंगी?
मैं कोई प्लान नहीं बनाना चाहती। मैं तक़दीर में विश्वास करती हूं।
मैं क़िस्मत के इशारों पर चलने वाली लड़की हूं, और हमेशा अपने दिल की सुनती हूं, चाहे फिल्म तमिल हो, तेलुगू हो या हिंदी।
तेलुगू मेरे दिल के क़रीब है, क्योंकि मैं उसी इंडस्ट्री से आयी हूं।
मैं अपनी स्क्रिप्ट्स भी चुनकर लेती हूं।
भाषा कोई बेड़ी नहीं है। आलिया (भट्ट) एक तेलुगू फिल्म RRR कर रही है, जिसके डायरेक्टर एसएस राजामौली हैं... श्रद्धा (कपूर) प्रभास के साथ एक तीन भाषाओं वाली फिल्म, साहो कर रही है...
सिर्फ फिल्म अच्छी होना मायने रखता है।
आपकी पिछली हिंदी फिल्म अय्यारी बॉक्स ऑफ़िस पर चल नहीं पायी।
मेरे पिता को यह फिल्म अच्छी लगी क्योंकि वो आर्मी से हैं। मुझे नहीं पता ये क्यों नहीं चली, क्योंकि आपको अपना प्रॉडक्ट हमेशा अच्छा लगता है।
कभी-कभी लगता है कि लोग सिर्फ इंटरटेनमेंट चाहते हैं। शायद इसलिये उन्हें यह फिल्म पसंद नहीं आयी।
फिर भी इसका सफर मज़ेदार था।
(डायरेक्टर) नीरज पांडे, मनोज बाजपेई और सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ काम करके बहुत कुछ सीखने को मिला।
मैं नीरज पांडे की बहुत बड़ी फैन हूं और हमेशा उनके साथ काम करना चाहती थी।
रिज़ल्ट तो मेरे हाथ में नहीं है। सबसे आप अपने सफ़र से कितना सीखते हैं, वही सबसे ज़्यादा मायने रखता है।
आपकी ऐक्टिंग की कला में नीरज पांडे का कितना योगदान है?
नीरज सर का फिल्म को शूट करने का एक अलग और निराला अंदाज़ है।
मैं ये तो नहीं बता सकती मेरी कला में किसी एक आदमी का कितना योगदान है, क्योंकि ये चीज़ आपके भीतर चलती है। आप हमेशा कई लोगों से मिलते रहते हैं, मुझे नहीं पता मैंने किस-किस से क्या-क्या सीखा है।
लेकिन यारियाँ पर दुबारा नज़र डालने पर, मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि एक इंसान के तौर पर मैं काफी आगे आयी हूं।
क्या आर्मी बैकग्राउंड से आपको इस इंडस्ट्री में मदद मिली?
आर्मी परिवार से होने के कारण मैं कभी एक जगह नहीं रही, इसलिये यात्रा करना मेरे लिये कोई परेशानी की बात नहीं है।
मैं कहीं भी रह सकती हूं, हैदराबाद हो या बॉम्बे, मिट्टी का घर हो या बस खुले आसमान के नीचे, क्योंकि मैंने अपनी ज़िंदग़ी में ये चीज़ें देखी हैं। मैं बॉर्डर पर रह चुकी हूं।
ये चीज़ें आपको बदलाव का आदी बना देती हैं, जो कि एक ऐक्टर के लिये बेहद ज़रूरी है, ख़ास तौर पर जब आपको मुश्किल मौसम में शूटिंग करनी हो।
आप दोस्त भी आसानी से बना लेते हैं।
आपने अपने माता-पिता को मॉडलिंग और ऐक्टिंग में अपने करियर के लिये कैसे मनाया?
उल्टे मेरी माँ ने मुझे मॉडलिंग के लिये मनाया!
उन्हें लगा कि मुझे मिस इंडिया के लिये कोशिश करनी चाहिये।
मुझे यह सुनकर हैरानी हुई, क्योंकि मैं गॉल्फ़ में कुछ ज़्यादा ही घुसी हुई थी और अपना ध्यान नहीं रखती थी। मुझे सजना-धजना और मेक-अप बिल्कुल पसंद नहीं था...
किसी तरह मेरी माँ ने मुझे मनाया और वहीं से मॉडलिंग शुरू हुई।
मेरे माता-पिता ने शुरू से ही मेरा साथ दिया है।
आज भी मेरे दिन भर कामों, शूट्स, प्रमोशनल ऐक्टिविटीज़, इंटरव्यूज़ में उनकी पूरी दिलचस्पी रहती है... हर शाम वो 'रकुल' गूगल करते हैं!
आपकी अगली फिल्म मरजाँवाँ बदले पर आधारित ड्रामा है।
मरजाँवाँ में मेरा किरदार (सिद्धार्थ मल्होत्रा, तारा सुतारिया और रितेश देशमुख के साथ) अब तक के मेरे सभी किरदारों से बिल्कुल अलग है। मैंने खुद को इस रूप में कभी नहीं देखा है।
मैं फिल्म में मसाला और शानदार डायलॉग देने वाली हूं।
मिलाप (ज़वेरी, डायरेक्टर) ने भी यही बात कही, कि पहली बार उनकी फिल्म की हिरोइन भारी-भरकम डायलॉग बोल रही है।