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सैटेलाइट शंकर रीव्यू

November 11, 2019 17:30 IST

सैटेलाइट शंकर एक मज़ेदार, टाइम-पास फिल्म है, प्रसन्ना डी ज़ोरे को लगता है।

Satellite Shankar Review

अगर दर्शक इरफ़ान कमाल की सैटेलाइट शंकर  का पहला हाफ़ किसी तरह झेल लें, तो दूसरा हाफ़ काफ़ी मज़ेदार है।

ऐसा नहीं है कि पहले हाफ़ में मज़ेदार पल नहीं हैं, लेकिन सैटेलाइट शंकर (सूरज पंचोली) और प्रमिला (दक्षिण भारती अभिनेत्री मेघा आकाश का बॉलीवुड डेब्यू, और डेब्यू इससे बेहतर नहीं हो सकता था!) की मुलाकात दूसरे हाफ़ में होती है।

मिलने से पहले शंकर-प्रमिला का फोन पर रोमांस चलता-रुकता रहता है और मीरा (पालोमी घोष द्वारा ख़ूबसूरती से निभाया गया किरदार; उन्हें कोंकणी फिल्म नचोम-इया- कुम्पसार के लिये नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है) के कारनामे दर्शकों की दिलचस्पी बनाये रखेंगे।

सैटेलाइट शंकर  एक शांत, संकोची, अच्छे सैनिक हैं।

एक ओर वह बॉर्डर पर पाक़िस्तानी सैनिकों के साथ हास्यास्पद शूटआउट का मज़ा लेते हैं, वही दूसरी ओर वह राष्ट्रीय राइफ़ल के अपने दोस्तों के परिवार के उदास सदस्यों को ख़ुशियाँ देने का काम भी बख़ूबी कर लेते हैं।

फिल्म ने बॉर्डर पर सैनिकों की ज़िंदग़ी और उनकी लंबी ग़ैर-मौजूदग़ी तथा लाशें देख चुके परिवारों के दर्द को बयाँ करने की नाकाम कोशिश की है।

इसे कश्मीरी मर्दों (बुरे, पत्थरबाज़) और औरतों (अच्छी, रक्षक) की घिसी-पिटी कहानी के साथ एक क्लाइमैक्स दिया गया है, जो काफ़ी बेहतर हो सकता था।

सैटेलाइट शंकर के रूप में पंचोली एक अनाड़ी, कैमरा से शर्माने वाले, लेकिन प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में उभर कर आये हैं।

हालांकि सैटेलाइट शंकर  हीरो  के बाद उनकी दूसरी फिल्म है, लेकिन उन्हें अपने अभिनय पर कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत है।

वह एक ही बार कैमरा के सामने कम्फर्टेबल नज़र आये हैं, जब ग़ुस्से में वह मीरा -- शंकर को संयोग से मिली एक वीडियो ब्लॉगर (जो मुझे बजरंगी भाईजान  में नवाज़ुद्दीन के चांद नवाब के किरदार की याद दिलाती है), जो बिना उसकी जानकारी के उसके रोमांचक सफ़र पर ब्लॉग करना शुरू कर देती है -- को कहते हैं उसे एक सैनिक को हीरो बनाने का यह काम बंद करना चाहिये।

हालांकि पंचोली ने अपनी मज़बूत छाप छोड़ने की पूरी कोशिश की है, लेकिन मेघा आकाश-पालोमी घोष की जोड़ी ही फिल्म के पहले हाफ़ में आपकी दिलचस्पी बनाये रखती है और दूसरे हाफ़ में आपके अनुभव को बेहतर बनाती है।

आकाश और घोष ने शंकर के हेवी-ड्यूटी ऐक्शन और परोपकार के कामों के बीच कहानी में थोड़े रंग भरे हैं।

तमिल नर्स के किरदार में आकाश आत्मविश्वास और ज़िंदादिली से भरपूर लगती हैं।

घोष ने अपना वीडियो ब्लॉगर का किरदार शानदार तरीके से निभाया है।

कमज़ोर पहले हाफ़ के बावजूद सैटेलाइट शंकर  एक मज़ेदार, टाइम-पास फिल्म है।

Rediff Rating:
प्रसन्ना डी ज़ोरे