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Rediff.com  » Movies » एक बार फिर... आपको हो जायेगा जैकी श्रॉफ़ से प्यार!

एक बार फिर... आपको हो जायेगा जैकी श्रॉफ़ से प्यार!

By रॉन्जिता कुलकर्णी
June 10, 2019 08:30 IST
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'मैं 33 साल एक चॉल में रहा हूं, जहाँ पॉटी के लिये डब्बा ले कर लाइन लगानी पड़ती थी।'

'हीरो बनने के बाद भी मुझे लाइन में खड़ा होना पड़ा।'

'यह चीज़ मेरे भीतर इतनी गहराई में उतर चुकी है, कि अब इसे बाहर निकालना मुश्किल है।'

Jackie Shroff

"मैं शक्ल से काफ़ी सख़्त दिखता हूं, और लोगों को लगता है कि उन्हें मुझसे दूर ही रहना चाहिये। लेकिन असल में मैं नारियल की तरह हूं," जैकी श्रॉफ़ ने हँसते हुए कहा।  

एक सुस्त शनिवार की दोपहर को भी इस ऐक्टर की व्यस्त ज़िंदग़ी में आराम का समय नहीं है।

imdb.com की मानें, तो जैकी श्रॉफ़ अभी 16 मूवीज़ में काम कर रहे हैं!

जब मैंने जैकी से पूछा कि ये कितना सच है, तो उन्होंने सोचते हुए कहा, "मेरे पास साहो, प्रस्थानम, भारत  है... दो तमिल फिल्में हैं। मैं बहुत सी चीज़ों पर काम कर रहा हूं। लेकिन मुझे नहीं पता था कि इतनी सारी फिल्में हैं!"

क्या आप थकते नहीं हैं?

"मेरी पीठ में थोड़ा दर्द है... लेकिन जब तक काम रहेगा, मेरा शरीर चलता रहेगा," उन्होंने कहा।

जैकी श्रॉफ़, ज़िंदग़ी को लेकर उनके नज़रिये, उनके बच्चों को जैसे उन्होंने बड़ा किया है और उनके दिल से जुड़ी फिल्मों से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है।

"मौत के सीन में मरना मत," जैकी श्रॉफ़ के कई ओरिजिनल डायलॉग्स में से एक था, जिन्हें सुनकर रॉन्जिता कुलकर्णी/रिडिफ़.कॉम प्रभावित हुईं।

कैंसर का सामना करना कितना मुश्किल होता है?

मैंने कभी इसके बारे में सोचा नहीं है।

हमें ज़्यादा फिक्र नहीं करनी चाहिये।

हमें ख़ुद को इतना सीरियसली नहीं लेना चाहिये।

मौत के सीन में कभी मरना मत (हँसते हुए)।

भावनाओं में कभी बहना मत।

अब एक ऐक्टर इससे ज़्यादा कर भी क्या सकता है?

साथ ही आपको उस दिन के लिये पैसे बचाने चाहिये, जब आपकी हड्डियाँ बूढ़ी हो जायेंगी। मार खा-खा के इतने साल... पाँच-पाँच फ़ाइट एक फिल्म में, हड्डी-पसली एक करके...

आपके बचाये हुए पैसे ही एक दिन आपका सहारा होंगे।

Jackie Shroff

आप खाली समय में क्या करते हैं?

मैं अपने दोस्तों के साथ खेती करता हूं, बीज जमा करता हूं, पौधों को पानी देता हूं।

मैंने पालक, मेथी, डिल (शतपुष्प), मिर्च, ककड़ी, चेरी, मलबरीज़, बैंगन उगाये हुए हैं...

आपने खेती क्यों शुरू की?

मेरी आजी मुझे खेत में ले जाती थीं।

वो खेती करती थीं और मैं वहीं बैठा रहता था।

तो खेती मेरे ख़ून में है।

छोटी उम्र में, मुझे चेचक हो गया था। तो उन्होंने मुझे एक पेड़ के नीचे बैठाया - शायद वो नीम का पेड़ था - और पेड़ के नीचे दूध, चावल और चीनी रखी।

मेरी माँ और आजी काम कर रहे थे और मैं पेड़ के नीचे खेल रहा था।

मैंने देखा कि खाने पर चींटियाँ रेंग रही थीं।

वही खाना मुझे दोपहर को खाने के लिये दिया गया।

दो दिन में, मेरा चेचक ग़ायब हो गया!

मतलब चींटियों की लार ने मुझे ठीक कर दिया... कोई दाग़ नहीं, कुछ भी नहीं!

पौधों की अपनी अलग ही दुनिया है। उनसे मुझे ताकत मिलती है।

Jackie plants a tree.

फोटो: जैकी एक पौधा लगाते हुए। फोटोग्राफ: Jackie Shroff/Instagram के सौजन्य से

जवानी में जैकी श्रॉफ़ ने अलग ही नाम कमाया था। आप ख़ुद को अपने बेटे टाइगर के मुकाबले किस तरह आँकेंगे?

उसकी उम्र में मैं काम कर रहा था।

मैंने 25-26 की उम्र में फिल्में करना शुरू किया।

मैंने 21 साल की उम्र में मॉडलिंग शुरू की।

बतौर टीनएजर, मैं अपने घर के पीछे जंगल में खेला करता था। उस उम्र में टाइगर भी फुटबॉल और बास्केटबॉल खेलता था।

अच्छी बात यह है कि उसे कम्प्यूटर से ज़्यादा खेल-कूद में दिलचस्पी थी।

कम्प्यूटर पर काम करना ठीक है, लेकिन 8-10 घंटे नहीं। इससे आपके शरीर पर बहुत ज़ोर पड़ता है।

Jackie with his children, Tiger and Krishna. Photograph: Kind courtesy Ayesha Shroff/Instagram

फोटो: जैकी अपने बच्चों, टाइगर और कृष्णा के साथ। फोटोग्राफ: Ayesha Shroff/Instagram के सौजन्य से

आप दोनों का व्यक्तित्व कितना मिलता-जुलता है?

मैं अकेला रहना पसंद करता था, उसे भी पसंद है।

जेनेटिकली, बराबर है। हम एक जैसे हैं।

उसे उसकी माँ (आयशा) से भी बहुत कुछ मिला है।

लेकिन हमारा काम करने का अंदाज़ बिल्कुल मिलता-जुलता है।

उसमें मेरे और मेरी माँ के बहुत सारे लक्षण हैं।

(बेटी) कृष्णा में आयशा की बहुत सारी ख़ूबियाँ हैं।

टाइगर बिल्कुल मेरे जैसा है। खुला तो खुला, और नहीं खुला तो कोने में पड़ा रहेगा।

काम की बात हो, तो वो पूरा मज़ा लेगा। गप-शप करनी हो, तो वो दूर भागेगा।

कृष्णा को पार्टी करने में बड़ा मज़ा आता है।

उसने एक MMA जिम खोला है। वो वहीं रहती है, लोगों को ट्रेन करती है।

वो शाम को फुटबॉल खेलती है; फिलहाल बांद्रा लीग में खेल रही है।

मेरे बच्चों को खेल-कूद का बड़ा शौक है।

स्पोर्ट्स में पहले डाल देने का बच्चे को। फिर सिगरेट वगैरह सब ग़ायब। स्टैमिना के चक्कर में सब भूल जाते हैं।

डिसिप्लिन आ जाता है।

See the fire in their eyes? Photograph: Kind courtesy Tiger Shroff/Instagram

फोटो: हैं न उनकी आँखों में अंगारे? फोटोग्राफ: Tiger Shroff/Instagram के सौजन्य से

क्या आपने टाइगर की स्टूडंट ऑफ़ द इयर 2 देखी?

हाँ, बिल्कुल। मैं अपने बेटे की फिल्म कैसे नहीं देखूंगा।

मज़ा आया!

पोर्क्युपाइन के लिये उसका बच्चा हमेशा 'नाज़ुक' ही रहेगा (हँसते हुए)।

और मैं क्या बोलूं (हँसते हुए)?

चुप रहना ही ज़्यादा अच्छा है (और ज़ोर से हँसते हुए)!

आपने भारत में सलमान के पिता का किरदार निभाया है। उनके साथ आपका रैपो कैसा रहा है?

बहुत ही दमदार।

उसने मुझे हमेशा अपना सीनियर माना है।

वो मेरी फिल्म फ़लक (1988) में असिस्ट कर रहा था।

मैं उसकी फोटो लेकर अपने प्रोड्यूसर्स के पास जाता था और बोलता था कि एक बहुत ही अच्छा दिखने वाला लड़का मेरी नज़र में है।

मैं उसे (प्रोड्यूसर) के सी बोकाड़िया के पास लेकर गया था। बोकाड़िया ने कहा कि उनका साला कोई फिल्म बना रहा है, मुझे सलमान को वहाँ लेकर जाना चाहिये, उसे ज़रूर काम मिलेगा।

और वहीं उसे बीवी हो तो ऐसी  मिल गयी।

ये मुझे अपने बच्चे के लिये कुछ करने जैसा लगा। हमारे बीच वो भावना शुरू से ही है।

मेरी नज़र में वो एक अच्छा दिखने वाला, अच्छे बैकग्राउंड वाला लड़का था। इसलिये मैं उसकी तसवीरें लिये घूमता था, और आख़िर उसे मौका मिल ही गया।

और आज वो अपनी फिल्म में मुझे काम दे रहा है -- भारत  उसकी होम प्रॉडक्शन है।

मेरा छोटा सा ही सही, लेकिन अहम रोल है।

मेरा किरदार कहता है, 'हाथ नहीं छोड़ना, साथ नहीं छोड़ना।' वो फिल्म की रीढ़ है।

सलमान ने मुझे ये (किरदार) दिया, क्योंकि वो मुझे प्यार करता है। उसकी नज़र में मैं एक ऐसा आदमी हूं, जिसने हमेशा अपने बच्चे की तरह उसका ख़्याल रखा है।

Jackie Shroff in Bharat.

फोटो: जैकी श्रॉफ़ भारत में।

क्या आप दोनों बाहर मिलते-जुलते रहते हैं?

अगर हम किसी पार्टी में गये, तो मैं यहाँ-वहाँ देखा, वो यहाँ वहाँ देखा, और निकल जाते हैं।

वो सबसे मिलता-जुलता है, मैं भी सबसे मिलता-जुलता हूं। ऐसा नहीं कि हम रात भर साथ खड़े होकर बात करते रहते हैं।

आपको अपने करियर में मिली सबसे बड़ी सीख क्या है?

दूसरे के घर में नहीं झाँकना। अपने घर का ध्यान रखो।

क्या आप अपने तीन बत्ती (मालाबार हिल, साउथ मुंबई के समृद्ध क्षेत्र में स्थित) वाले दिनों के सपने आज भी देखते हैं, जहाँ आप बड़े हुए थे?

नहीं... मैं वहाँ जाता हूं।

मकानमालिक ने चार बच्चों को किराये पर रखा है।

तो जिस कमरे में मेरी माँ, पिता, मेरा भाई और मैं सोते थे, वहीं उन्हीं बिस्तरों पर अब चार बच्चे सोते हैं।

मैं कभी-कभी वहाँ जाकर बैठता हूं।

आपके पाँव आज भी ज़मीन पर कैसे हैं?

क्योंकि मैं 33 साल चॉल में रहा हूं और पॉटी के लिये हाथ में डब्बा लेकर लाइन लगा चुका हूं।

हीरो बनने के बाद भी, मुझे लाइन में लगना पड़ा।

यह चीज़ मेरे भीतर इतनी गहराई में उतर चुकी है, कि अब इसे बाहर निकालना मुश्किल है।

1982 में हीरो बनने के बाद आप वहाँ से बाहर क्यों नहीं निकले?

मैंने अपना पता हीरो बनने के लगभग 4-5 साल बाद बदला; तब तक मैंने शिवा का इंसाफ़ (1985 में) पूरी कर ली थी।

मेरी माँ ने शिवा का इंसाफ़  की मेरी एक बड़ी सी फोटो लटका रखी थी, इसलिये मुझे ये बात याद है (कि फिल्म रिलीज़ होने पर हम वहीं रहते थे)।

आप और पहले बाहर रहने क्यों नहीं गये?

मैं वहाँ ख़ुश था।

मेरा जन्म वहीं हुआ था। वहीं मेरे दोस्त थे।

वहाँ मेरे भाई की यादें थीं, जो हमारे बीच नहीं रहा।

मेरे माता-पिता भी ख़ुश थे, उन्हें वहाँ रहने में कोई तकलीफ़ नहीं थी।

Jackie Shroff in King Uncle

फोटो: जैकी श्रॉफ़ किंग अंकल में।

आपकी कौन से फिल्म आपके दिल के सबसे ज़्यादा करीब है?

किंग अंकल।

मेरा रोल एक ऐसे आदमी का है, जिसे बच्चों से नफ़रत है, लेकिन बाद में वो एक बच्ची को गोद ले लेता है।

इसके पीछे की सोच बहुत ख़ूबसूरत थी - बच्ची को गोद लेना - और देश में सभी को ऐसा करना चाहिये।

मुझे इसमें काम करके बहुत ख़ुशी हुई।

मेरे बच्चे किंग अंकल  देखते हुए बढ़े हैं, और उन्हें ये फिल्म बेहद पसंद है।

आपकी अन्य सफल फिल्मों के बारे में आपका क्या कहना है?

हाँ ऐसी कई फिल्में हैं... परिंदा, गर्दिश, रंगीला, राम लखन, त्रिदेव...

लेकिन हमारे लिये हिट्स, या क्रिटिकल अक्लेम या अवॉर्ड्स मायने नहीं रखते।

आपके दिल को छूने वाली चीज़ सबसे अलग ही होती है।

आपसे जुड़ी कौन सी बात आपके फैन्स नहीं जानते हैं?

मैं पर्यावरण प्रेमी हूं।

पानी बचाने की बात सब करते हैं। लेकिन आप इसके लिये क्या कर रहे हैं?

दुनिया भर की कई बोतलों, कई पानी के नलों में प्लास्टिक फ़ाइबर पाया गया है।

अगर आप इसके बारे में पढ़ें, तो आपको यह सोच कर डर लगेगा कि हम कितना ज़्यादा प्लास्टिक खा रहे हैं।

आधा पैर तो कब्र में हैं, जो बचा है वो बच्चों - सिर्फ अपने नहीं - सबके बच्चों को संभालने में लगे।

यही हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है।

अपने बच्चों को ज़हर मत दीजिये।

विरासत में बिना पानी की दुनिया मत छोड़ कर जाइये।

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