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'स्कूल में सेक्स एड्युकेशन शुरू किया जाना चाहिये'

July 18, 2019 12:03 IST

"हमारे समाज में हम उसी चीज़ की बात करने से क्यों कतराते हैं, जिसकी वजह से हमारा जन्म हुआ है?"

Sonakshi Sinha/Instagram

फोटोग्राफ: Sonakshi Sinha/Instagram के सौजन्य से

अपनी आनेवाली फिल्म ख़ानदानी शाफ़ाखाना  में सोनाक्षी सिन्हा ने यौन-शिक्षा का मुद्दा उठाया है।

यह फिल्म रैपर बादशाह की पहली फिल्म होगी, जो एक पंजाबी लड़की के सेक्स क्लिनिक पर आधारित है, और इसमें दिखाया गया है कि वह कैसे अपने छोटे शहर के लोगों से जुड़ने की कोशिश करती है।

"सेक्स-संबंधी बीमारियों या समस्याओं से पीड़ित लोगों को शर्मिंदा नहीं महसूस करना चाहिये। इस बारे में दबी आवाज़ में बात नहीं की जानी चाहिये," सोनाक्षी ने रिडिफ़.कॉम की संवाददाता दिव्या सोलगामा से कहा।

आपने कई कॉमेडी फिल्में की हैं।

मुझे कॉमेडी करना पसंद है!

यह मेरे लिये काफी अच्छा है, क्योंकि मैं इसे चुनौती भरा मानती हूं।

कॉमेडी करना कोई मज़ाक नहीं है।

लोगों को हँसाना बेहद मुश्किल होता है।

ख़ुशकिस्मती से, मेरा सेंस ऑफ़ ह्यूमर और कॉमिंक टाइमिंग अच्छी है।

मुझे पता है कि मैं क्या कर सकती हूं।

मुझे लोगों को हँसाना और ख़ुद पर हँसना भी पसंद है।

कॉमेडी मेरा मनपसंद जॉनर है।

A scene from Khandaani Shafakhana.

फोटो: ख़ानदानी शाफ़ाख़ाना का एक दृश्य।

क्या ख़ानदानी शाफ़ाख़ाना  करने को लेकर आपने हिचकिचाहट महसूस की थी?

जब मैंने फिल्म का वन-लाइनर सुना, तो मुझे रोल स्वीकार करने में हिचकिचाहट तो हुई थी।

पहले मैंने सोचा कि निर्माता मेरे पास यह फिल्म क्यों लाये हैं, क्योंकि मैं सिर्फ पारिवारिक फिल्में करती हूं।

वह मेरी पहली प्रतिक्रिया थी।

लेकिन जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी, तो मैंने सोचा मुझे ऐसी फिल्म ज़रूर करनी चाहिये।

यह आम लोगों से जुड़ी एक कहानी है, जिसे बेहद ख़ूबसूरत और साफ़-सुथरे तरीके से लिखा गया है। इसमें हँसी-मज़ाक, मनोरंजन और जानकारी का सही ताल-मेल है।

यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर कर देती है कि हमारे समाज में हम उसी चीज़ की बात करने से क्यों कतराते हैं, जिसकी वजह से हमारा जन्म हुआ है?

हमारे समाज में इस विषय पर इतनी पाबंदी क्यों लगाई गयी है?

आज, अगर एक मर्द गायनेकोलॉजिस्ट बन जाये, तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी।

लेकिन अगर कोई लड़की सेक्स क्लिनिक चलाना चाहे, तो उसका भाई ही उसके ख़िलाफ़ खड़ा हो जाता है।

विकी डोनर और शुभ मंगल सावधान  ऐसे ही मुद्दों पर बनाई गयी थी, लेकिन उन सभी में मुख्य किरदार मर्द थे।

पहली बार एक लड़की को ऐसी फिल्म में मुख्य किरदार बनाया गया है, और मुझे गर्व है कि मैं ख़ानदानी शाफ़ाख़ाना  कर रही हूं।

इस फिल्म के बारे में की जा रही बातें सच हैं।

इसकी डायरेक्टर भी महिला ही हैं।

जी हाँ! उन्होंने जिस संवेदनशीलता से इस फिल्म पर काम किया है, वह काबिले तारीफ़ है।

मुझे नहीं लगता कि कोई मर्द ऐसा कर पाता।

यह फूहड़ हो सकता था, लेकिन शिल्पी (दासगुप्ता, डायरेक्टर) ने ऐसा होने नहीं दिया।

Kind courtesy Sonakshi Sinha/Instagram

फोटोग्राफ: Sonakshi Sinha/Instagram के सौजन्य से

आपने ख़ानदानी शाफ़ाखाना  में अपने किरदार के लिये तैयारी कैसे की?

मेरे लिये रीसर्च असल में शिल्पी ने किया है। उसकी जितनी तारीफ़ की जाये उतनी कम है।

मैंने फिल्म में एक मेडिकल प्रतिनिधि का किरदार निभाया है।

शिल्पी ने मुझे मेडिकल प्रतिनिधियों के कुछ वीडियोज़ दिखाये, जिससे मुझे पता चला कि वो कैसे बात करते हैं और कैसे दवाऍं बेचते हैं।

यह एक बहुत ही समझदार किरदार है।

उसने मुझे सेक्स क्लिनिक के विज्ञापन भी दिखाये, जिससे अपने किरदार को बनाने में मुझे मदद मिली।

एक छोटे शहर पर आधारित इस फिल्म की ख़ूबसूरती का पूरा श्रेय मैं राइटिंग टीम को देना चाहूंगी, क्योंकि किरदार की हर बारीकी मेरे अनुसार लिखी गयी थी।

क्या आपके दोस्त कभी आपसे सेक्स से जुड़े मामलों की बात करते हैं?

जी हाँ, हर कोई इसके बारे में बात करता है!

लेकिन, दुःख इस बात का है कि कोई भी अपनी सेक्स से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात नहीं करता, और यही बात इस फिल्म का सबसे बड़ा मुद्दा है।

लोग इस बारे में खुल कर सामने नहीं आते।

बीमारी तो बीमारी होती है, और उसका इलाज डॉक्टर ही कर सकते हैं।

सेक्स-संबंधी बीमारियों या समस्याओं से पीड़ित लोगों को शर्मिंदा नहीं महसूस करना चाहिये। यह उनकी मर्ज़ी से नहीं हुआ, अपने आप हुआ है।

इस बारे में दबी आवाज़ में बात नहीं की जानी चाहिये।

स्कूलों में कई विषय होते हैं, लेकिन उनमें से कोई सेक्स संबंधी मुद्दों से जुड़ा नहीं होता।

स्कूल में सेक्स एड्युकेशन शुरू किया जाना चाहिये।

वर्तमान में, इंटरनेट इतना ज़्यादा फैल चुका है कि बच्चों को इन चीज़ों की जानकारी मिल ही जाती है, और वो भी ग़लत तरीके से।

आप जब तक इसे आम ज़िंदग़ी का हिस्सा नहीं मानेंगे, तब तक लोग इसके बारे में खुल कर बात नहीं करेंगे।

Badshah and Sonakshi in Khandaani Shafakhana.

फोटो: बादशाह और सोनाक्षी सिन्हा ख़ानदानी शाफ़ाख़ाना  में।

आप एक फैशन डिज़ाइनर हैं और बादशाह को उनके फैशन के लिये जाना जाता है। क्या ख़ानदानी शाफ़ाख़ाना  के सेट पर आप दोनों के बीच कोई मज़ेदार कॉम्पिटीशन हुआ?

बिल्कुल नहीं!

इस फिल्म में मेरा लुक बिल्कुल सिम्पल है, और इस बात से ख़ुश मैं हूं।

जबकि बादशाह बिल्कुल छैल-छबीले किरदार में हैं। उन्होंने शानदार जैकेट्स पहनी हैं और भड़कीले लग रहे हैं।

हम दोनों इसमें बिल्कुल अलग हैं।

क्या आप कभी अपना फैशन ब्रांड शुरू करने वाली हैं?

मैं एक ऐसे प्रोफेशन में हूं, फैशन जिसका अभिन्न अंग है।

हर दिन हमें अच्छा और स्टायलिश लगना चाहिये।

आज, फैशन की बात और चीज़ों से कहीं ज़्यादा की जाती है।

डिज़ाइनर बनना और अपना लेबल चलाना बहुत ही बड़ी चुनौती होगी।

जब तक मुझे ऐसा नहीं लगेगा कि मैं इसमें अपना 100 प्रतिशत दे सकती हूं, तब तक मैं इसमें नहीं उतरना चाहूंगी।

Kind courtesy Sonakshi Sinha/Instagram

फोटोग्राफ: Sonakshi Sinha/Instagram के सौजन्य से

शिल्पी के साथ काम करके कैसा लगा?

शिल्पी बहुत ही शांत और शर्मीली है। उसे खुलने में समय लगा।

पहले मुझे लगा था कि हम ज़्यादा घुल-मिल नहीं पायेंगे, क्योंकि वह मुझसे ज़्यादा बात नहीं कर रही थी।

लेकिन स्क्रिप्ट पढ़ने के समय वह पूरी तरह खुली, क्योंकि उसी दौरान मैंने उसकी ख़ूबी को जाना; उसे अच्छी तरह पता था कि उसे फिल्म में क्या करना है।

मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने उससे पूछा भी कि वो अपनी अगली फिल्म कब करेगी; मुझे फिर से उसके साथ काम करना है!

मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अपनी बड़ी बहन के साथ काम कर रही हूं।

जिस तरह की यह फिल्म है और जैसे डायलॉग्स मुझे बोलने हैं...

मैंने इस फिल्म में अपनी ज़िंदग़ी का सबसे मुश्किल सीन किया है।

इस सीन में मैं एक रिक्शा में बैठी हूं, जिसमें एक बड़े बोर्ड पर बड़े अक्षरों में 'सेक्स' लिखा हुआ है। उसके नीचे सभी बीमारियों के नाम लिखे हुए हैं, जिन्हें मुझे ज़ोर से पढ़ना है।

लेकिन छोटे शहरों में प्रचार ऐसे ही किये जाते हैं, रिक्शा पर स्पीकर फोन्स लगा कर।

मुझे आम लोगों से भरे बाज़ार के बीच यह सीन करना था, इसलिये यह मेरे लिये बेहद मुश्किल था। लेकिन शिल्पी ने मुझे हिम्मत दी।

डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म कर रहा हो या सौवीं, वह मायने नहीं रखता।

डायरेक्टर तो डायरेक्टर होता है, और एक ऐक्टर तुरंत बता सकता है कि उसे उसका काम आता है या नहीं।

अगर मुझे नयी और अनुभवहीन मान कर सलमान ख़ान मेरे साथ काम नहीं करते, तो आज मैं कहाँ होती?

Kind courtesy Sonakshi Sinha/Instagram

फोटोग्राफ: Sonakshi Sinha/Instagram के सौजन्य से

सलमान ख़ान ने एक बार कहा था कि सोनाक्षी दबंग  फ्रैंचाइज़ में हमेशा रहेगी। किसी सुपरस्टार का विश्वास जीतना कैसा लगता है?

यह सचमुच बहुत अच्छा लगता है!

यह मेरे लिये और भी ज़्यादा मायने रखता है, क्योंकि मैं कभी ऐक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थी, लेकिन सलमान ख़ान ने मुझे राह दिखाई।

उन्होंने मुझसे पूछा नहीं कि मैं दबंग  कर रही हूं या नहीं, उन्होंने मुझे बताया कि मैं इसमें हूं।

इसके बाद मैंने कभी मुड़ कर नहीं देखा।

इसलिये सलमान ख़ान जैसे इंसान से मिली यह तारीफ़ बहुत ज़्यादा मायने रखती है, क्योंकि इसमें उनका विश्वास और प्यार दिखता है।

उनकी कही बात मेरे दिल के करीब है, क्योंकि दबंग  मेरे लिये बेहद ख़ास है!

क्या आप बॉक्स ऑफ़िस पर कमाई की चिंता करती हैं?

मैंने बहुत पहले ही बॉक्स ऑफ़िस की कमाई के बारे में सोचना छोड़ दिया था, क्योंकि वह मेरे हाथ में नहीं है।

मुझे ऐसी चीज़ों के बारे में नहीं सोचना, जो मेरे हाथ में हैं ही नहीं।

बतौर ऐक्टर, मैं हर फिल्म में अपना जी-जान लगा देती हूं। मेरे लिये हर फिल्म मेरी पहली फिल्म होती है और मैं अपनी पूरी कोशिश और ताकत उसमें झोंक देती हूं।

आप कौन से शोज़ देख रही हैं?

मैंने मिर्ज़ापुर, सेक्रेड गेम्स, गेम ऑफ़ थ्रोन्स, ब्रेकिंग बैड देखी है...

Sonakshi with her father Shatrughan Sinha. Photograph: Kind courtesy Sonakshi Sinha/Instagram

फोटो: सोनाक्षी अपने पिता शत्रुघ्न सिन्हा के साथ। फोटोग्राफ: Sonakshi Sinha/Instagram के सौजन्य से

आपको हम आपके पिता के साथ किसी फिल्म में कब देख सकेंगे?

हम दोनों के एक साथ आने के लिये फिल्म का विषय बहुत ही अच्छा होना चाहिये। हमें उसी का इंतज़ार है।

क्या आप राउडी राठौर  की सिक्वेल में काम कर रही हैं?

मैंने उसके बारे में सुना है, लेकिन मुझसे किसी की इस बारे में बात हुई नहीं है।

मैं सिक्वेल का हिस्सा ज़रूर बनना चाहूंगी।

दिव्या सोलगामा