'मुझे सबसे ज़्यादा चिंता इस बात की थी, कि एक सरदार ऐक्टिंग की दुनिया में फिट नहीं हो सकता, लेकिन अब चीज़ें बदल गयी हैं।'
दिलजीत दोसांझ ने अपनी नयी फिल्म अर्जुन पटियाला में हमें हँसाने का वादा किया है, जिसमें कृति सैनन और वरुण शर्मा उनके को-स्टार्स हैं।
उन्होंने बेहद ईमानदारी के साथ रिडिफ़.कॉम की संवाददाता दिव्या सोलगामा को इंटरव्यू दिया, उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि बॉलीवुड में चीज़ें कैसे चलती हैं।"
आपको बॉलीवुड से बहुत प्यार मिल रहा है।
सच कहूं तो, मुझे नहीं लगता कि मैं इस प्यार का हक़दार हूं, लेकिन मैं बहुत ख़ुश हूं।
अर्जुन पटियाला में आपका किरदार आपकी असल ज़िंदग़ी से कितना अलग है?
मैं असल ज़िंदग़ी में काफ़ी संकोची स्वभाव का हूं और ज़्यादा बात नहीं करता। लेकिन फिल्म में मेरा किरदार काफ़ी बकबकिया है।
आपने पंजाबी फिल्मों में डायरेक्टर रोहित जुगराज चौहान के साथ काम किया है। उनके साथ अर्जुन पटियाला करना आपके लिये आसान रहा होगा।
असल में, जब मैंने अर्जुन पटियाला के लिये रितेश (शाह, लेखक) और दिनेश (विजन, प्रोड्यूसर) को हाँ कही थी, तब रोहितपाजी इस फिल्म का हिस्सा नहीं थे।
साथ ही, उस समय जब मैंने उन्हें पूछा कि फिल्म का सब्जेक्ट क्या है, तो उन्होंने बोला कोई सब्जेक्ट ही नहीं है।
ऐसा सुनकर मैं डर गया, लेकिन फिर उन्होंने बताया कि यह हँसी-ठहाकों से भरी एक कॉमेडी है।
मैंने बॉलीवुड में ऐसी फिल्म की नहीं है, तो मुझे लगा मुझे इसमें ज़रूर शामिल होना चाहिये।
अर्जुन पटियाला को कुछ और डायरेक्टर डायरेक्ट करने वाले थे।
बाद में रितेश और दिनेश ने रोहित से पूछने की सोची, और मुझसे इसके बारे में पूछा। मैं उनके साथ पहले काम कर चुका हूं, तो मैंने तुरंत हाँ कर दी।
पंजाबी नहीं होने के बावजूद रोहित ने पंजाबी फिल्में बनाई हैं, इसके लिये हम उनके आभारी हैं।
आपके को-स्टार वरुण शर्मा भी पंजाबी हैं।
वो बहुत ही अच्छे कलाकार और इंसान हैं।
मैं लुधियाना से हूं और वरुण जालंधर से, जो मेरा मूल शहर है।
जब भी मुझे हिंदी प्रोजेक्ट में कोई पंजाबी मिलता है, मुझे बड़ी ख़ुशी होती है।
आप अर्जुन पटियाला में पुलिसवाले का किरदार निभा रहे हैं। आपके मुताबिक किस बॉलीवुड ऐक्टर ने पुलिस वाले का काम सबसे अच्छा किया है?
मुझे सभी का काम पसंद आया है, लेकिन ज़ंजीर के अमिताभ बच्चन की बात ही अलग है।
क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड आपके हुनर को सही तरीके से नहीं दिखा पा रहा है?
पंजाब में मेरी फिल्मों पर मेरा पूरा कंट्रोल होता है -- बजट से लेकर गाने चुनने और सोशल मीडिया पोस्ट्स तक।
मुझे यह भी पता होता है कि फिल्म कितने थिएटर्स में रिलीज़ होगी, उसे कितनी स्क्रीन्स पर दिखाया जायेगा...
हालांकि ऐसी चीज़ें प्रोड्यूसर्स के हाथ में होती हैं, लेकिन उन सभी से मेरी दोस्ती है। अगर मैं कल भी कोई फिल्म शुरू करना चाहूं, तो कर सकता हूं।
तो वहाँ हर चीज़ मेरे काबू में होती है, लेकिन बॉलीवुड में नहीं।
यहाँ बिज़नेस का पैमाना और बजट बहुत बड़ा होता है। मुझे सोचना पड़ता है कि मुझे मिलने वाले ऑफ़र्स के साथ मैं ख़ुद को कहाँ रख सकता हूं।
जब मैंने पंजाबी फिल्में करना शुरू किया था, तब मैं बतौर ऐक्टर फिट नहीं होता था।
लोग कहते थे, कि मुझे गायकी पर ही ध्यान देना चाहिये, ऐक्टिंग में नहीं उतरना चाहिये।
मुझे लगता है कि पहले सरदार सिंगर्स तो हो चुके हैं, लेकिन ऐक्टर कभी नहीं।
लेकिन पंजाब में चीज़ें अब बदल गयी हैं, और बॉक्स ऑफ़िस अब आसमान छूने लगा है।
बॉलीवुड में आपका कंट्रोल नहीं होने पर आपको निराशा नहीं होती?
मैं इसे एक सीख मानता हूं।
जैसे, मुझे लगता है अर्जुन पटियाला का ट्रेलर इससे और ज़्यादा मज़ेदार हो सकता था, लेकिन ये मेरे कंट्रोल में नहीं है।
मुझे नहीं पता कि बॉलीवुड में चीज़ें कैसे चलती हैं।
मुझे हिंदी ऑडियन्स का टेस्ट भी नहीं पता।
दिनेश सर ज़्यादा जानते हैं; उन्होंने बॉलीवुड में कई अच्छी फिल्में बनाई हैं। तो मैंने यहाँ सब कुछ प्रोड्यूसर और डायरेक्टर पर छोड़ दिया है।
आप हिंदी सिनेमा के सिख किरदारों में क्या बदलना चाहेंगे?
मैं अकेला कुछ बदल तो नहीं सकता, लेकिन मैं अपनी फिल्मों में ज़रूर कुछ बदलाव ला सकता हूं।
ख़ुद का मज़ाक उड़ाना अलग बात है -- वह पंजाबियों का स्वभाव है और जसपाल भट्टी इस काम में माहिर थे।
लेकिन सरदारों का मज़ाक उड़ाना अलग बात है और मैं कम से कम अपनी फिल्मों में ऐसा नहीं होने दूंगा।
मुझे सबसे ज़्यादा चिंता इस बात की थी, कि एक सरदार ऐक्टिंग की दुनिया में फिट नहीं हो सकता, लेकिन अब चीज़ें बदल गयी हैं।
पंजाब में बहुत बड़ा बदलाव आया है। जो लोग सरदार नहीं हैं, वो भी पगड़ी पहन कर फिल्मों में ऐक्टिंग कर रहे हैं।
सरदार किरदारों वाली कौन सी फिल्म आपको पसंद है?
मुझे भाग मिल्खा भाग बहुत पसंद आई थी; उसमें सब ने बहुत अच्छा काम किया है।
मुझे नहीं लगता कि इस तरह की फिल्म में मैं इतना अच्छा काम कर पाता।
जब मैंने दंगल देखी, तो मुझे सब कुछ आसान लगा, लेकिन मुझे लगता है कि आसान फिल्म बनाना ही सबसे ज़्यादा मुश्किल होता है।
मैं दंगल देखते हुए बहुत रोया था।
आप बचपन में कौन सी फिल्में देखते थे?
उस समय हम दूरदर्शन पर आने वाली अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्में बेहद पसंद किया करते थे।
मुझे याद है जब अमिताभ बच्चन सर सरदार बने थे और उन्होंने तेरी रब ने बना दी जोड़ी गाना शूट किया था। बचपन में मुझे यह देख कर बहुत ख़ुशी हुई थी।
बचपन में फिल्म में अगर लड़ाई न हो, तो हम उसे बोर कहते थे क्योंकि बचपन में हमें ऐक्शन बेहद पसंद था।
उम्र के साथ आपका टेस्ट बदलता रहता है, क्योंकि आप फिल्मों को समझने लगते हैं।
फिर, मुझे राजेश खन्ना की फिल्में पसंद आने लगीं।
जब मैं इंडस्ट्री में आया और यहाँ की टेक्निकैलिटीज़ को समझा, तब मुझ पता चला कि ऐक्टर्स कितनी कड़ी मेहनत करते हैं।
पहले हम कॉमिक सीन्स पर हँसा करते थे, लेकिन बाद में मुझे महमूद सर की ऐक्टिंग समझ में आई। प्राण सर और अमिताभ बच्चन सर का काम देखकर मैं दंग रह जाता था।
1990 के दशक में, गोविंदा मेरे चहेते ऐक्टर बन गये थे।
मुझे राजेन्द्र कुमार की सभी फिल्में बहुत पसंद थीं। उनकी सभी फिल्में पहाड़ों में बनी होती थीं, और हमें ऐसे सीन्स देखना बहुत पसंद था, क्योंकि हमारा परिवार हमें ऐसी जगहों पर नहीं ले जाता था (हँसते हुए)।