'जानवर आपको अच्छी तरह समझते हैं'
'वो आपके हाव-भाव को समझते हैं'
'अगर उन्हें आपसे खतरा न महसूस हो, तो वो आपको ज़िंदग़ी भर प्यार करेंगे।'
मराठी सिनेमा में लगभग एक दशक बिताने और पोश्टर बॉइज़ तथा दगडी चॉल जैसी सफल फिल्मों में अभिनय के बाद, पूजा सावंत अब तैयार हैं बॉलीवुड में अपने डेब्यू के लिये।
पूजा जंगली में एक महावत का किरदार निभा रही हैं, जिसमें विद्युत जमवाल का शानदार ऐक्शन शामिल है।
पूजा को खुशी है कि उन्हें एक ऐसा प्रोजेक्ट मिला, जिसमें उन्हें हॉलीवुड डायरेक्टर चक रसेल (द मास्क, इरेज़र) के साथ काम करने का मौका मिल रहा है।
"अगर मुझे चक रसेल की फिल्म के सेट पर झाड़ू लगाने का भी काम मिलता, तो भी मैं खुशी-खुशी तैयार हो जाती," उन्होंने रिडिफ़.कॉम के संवाददाता मोहनीष सिंह से कहा।
हम डेढ़ साल बाद आपको किसी फिल्म में देख रहे हैं।
हाँ। पिछले साल, मैं मराठी फिल्म इंडस्ट्री से ग़ायब ही हो गयी थी।
मराठी मीडिया मुझे लगातार कॉल करके पूछ रहा था कि मैं किस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हूं और अवॉर्ड फंक्शन्स में क्यों नहीं शामिल हो रही।
मैं आशा (भट, जो जंगली में उनकी को-स्टार हैं) को कॉल करके पूछती थी, "मैं उनसे क्या कहूं?"
मैंने किसी से कुछ नहीं कहा।
मैं उन्हें बताना चाहती थी कि मैं कहाँ काम कर रही हूं, लेकिन मैंने इसे राज़ ही रखा क्योंकि मुझे इसे छुपाने के लिये कहा गया था।
क्या आपको इस दौरान ऑफ़र्स मिले?
मैंने उन्हें नहीं करने का फैसला किया।
मुझे लगा कि सब्र का फल मीठा होगा।
इतने साल मराठी फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के बाद, जंगली मेरे लिये बहुत ही बड़ी बात है।
आपने क्यों नहीं बताया कि आप जंगली में काम कर रही थीं?
ये हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मेरा डेब्यू था। यह एक लॉन्च पैड की तरह था।
निर्माता चाहते थे कि मैं और आशा इस फिल्म को राज़ ही रखें, जब तक कि प्रॉडक्शन हाउस से इसके लिये ग्रीन सिग्नल न मिल जाये।
इतने महीनों तक इस बात को छुपाना बेहद मुश्किल रहा होगा।
हाँ, बहुत ही मुश्किल था।
मेरे फोन में सेट्स के कितने सारे फोटोग्राफ़्स थे, लेकिन मैं उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर नहीं कर सकती थी।
यह मेरे परिवार के लिये भी मुश्किल था।
आपने मराठी मूवी करियर को छोड़ कर जंगली को क्यों चुना?
अगर आपने मेरी मराठी फिल्में देखी हैं, तो आपको पता होगा कि मैं बहुत चुनने के बाद अपने प्रोजेक्ट्स लेती हूं।
मैंने जंगली को इसलिये चुना, क्योंकि इसमें द मास्क को बनाने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर चक रसेल थे।
हम उनकी फिल्म बचपन से देखते आये हैं, जैसे अ नाइटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट 3: ड्रीम वॉरियर्स और द ब्लॉब।
अगर मुझे चक रसेल की फिल्म के सेट पर झाड़ू लगाने का भी काम मिलता, तो भी मैं खुशी-खुशी तैयार हो जाती!
मैं उन्हें कैसे मना कर सकती हूं? वो इतने बड़े इंटरनेशनल डायरेक्टर हैं।
दूसरी बात, मेरी निजी ज़िंदग़ी में भी, मुझे जानवरों से बड़ा लगाव है। मैंने मुंबई में कई जानवरों को बचाया है।
जैसे ही मुझे पता चला कि इस फिल्म में मुझे महावत का रोल मिल रहा है, मैंने तुरंत इसे करने का फैसला कर लिया।
हाथी-मनुष्य के बीच रिश्ता बनाना, महावत का किरदार निभाना, हाथी की सवारी, जंगल की रक्षा करना, ये सब मेरे सपनों से भी बढ़ कर था।
क्या शूटिंग शुरू करने से पहले हाथी के साथ रिश्ता बनाना मुश्किल था?
मैं कास्ट में से सबसे पहले थाइलैंड गयी थी, क्योंकि मुझे अपने हाथी के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताना था।
अगर आप इसका ट्रेलर देखें, तो आपको दाँतों वाला एक हाथी दिखेगा। वो नर हाथी है, जिसका नाम भोला है। मेरा हाथी असल में मादा हाथी है।
थाइलैंड में मैंने प्रॉडक्शन टीम को मुझे ऐसा होटल देने से मना किया, जो जंगल से दूर हो।
मैं ज़्यादा से ज़्यादा समय जंगल में बिताती थी और हाथी के साथ रहकर उसकी पसंद-नापसंद, उसका खाना, उसकी खुशी, हर चीज़ जानने की कोशिश करती थी...
उसके साथ जल्द ही मेरा रिश्ता जुड़ गया, क्योंकि जानवर आपको अच्छी तरह समझते हैं।
वो आपके हाव-भाव को समझते हैं। अगर उन्हें आपसे कोई खतरा न महसूस हो, तो वो आपको ज़िंदग़ी भर प्यार करेंगे।
पहली बार उसे देख कर मैं रो पड़ी।
वो है ही इतनी ख़ूबसूरत।
कुछ चीज़ों से आप उनके मूड को समझ सकते हैं।
उसके कान या सूंड़ हिलाने का मतलब है कि वो खुश है। मैं उस पर बैठ कर जंगल की सैर करती थी।
ट्रेलर में कुछ शॉट्स में आप इगुआना और साँपों के साथ दिखाई देती हैं। आपको डर नहीं लगा?
मैंने कई साँपों को बचाया है।
कुछ लोग साँपों को देखते ही मार देते हैं, लेकिन मैं उनसे कहती हूं, 'उन्हें मारो मत। सर्पमित्र (साँपों को बचाने वाले) आकर उन्हें बचा लेंगे।'
इस धरती पर कोई भी प्राणी डरावना नहीं है। ये मानवजाति ही है जो डरावनी है।
यह अपने आप में अद्भुत है कि सीजीआइ की मदद से जानवरों वाली फिल्में बनाने के इस दौर में, असली जानवरों के साथ शूट की गयी एक फिल्म आयी है।
हाँ। जब जंगली का प्लान बन रहा था, तब हमने सोचा, 'क्यों न ऐसा करके देखें? डायरेक्टर ने इसे ऐसे ही सोचा था, ऐक्टर्स तैयार थे और प्रॉडक्शन हाउस तैयार था। किसी को डर नहीं था।'
आपको यह बात फिल्म में दिखाई देगी -- वीएफएक्स और हक़ीक़त के बीच का अंतर।
क्या हाथियों के साथ ट्रेनिंग मुश्किल थी?
ट्रेनिंग के दौरान मेरे आस-पास हमेशा लोग रहते थे, और मुझे नहीं पता था कि हाथियों से भी इतना अच्छा रेस्पॉन्स मिलेगा।
मैं जहाँ जाती थी, वो मेरे पीछे-पीछे चलती थी।
और मैंने महावत के कपड़े पहने हुए थे -- मेरी बेल्ट सूरजमुखी और गन्ने के बीजों से भरी थी।
हाथियों के बारें में सबसे मज़ेदार बात ये है कि आप बड़ों के साथ तो आसानी से काम कर सकते हैं, लेकिन बच्चे बहुत नटखट होते हैं।
जैसे अगर आपके हाथ में सेब है, तो वो आपके पीछे दौड़ कर आपसे सेब छीन लेंगे।
हॉलीवुड फिल्म-मेकर के साथ काम करना मराठी सिनेमा से कितना अलग था?
फर्क काम करने के तरीकों में नज़र आया।
चक थियेटर के आदमी हैं, तो उनका तरीका अलग था।
शूट शुरू करने से पहले हमने बहुत सारे वर्कशॉप्स और कैरेक्टर प्रेज़ेन्टेशन्स किये थे।
तो जब मैं सेट पर थी, तो मुझे पता था कि चक रसेल क्या चाहते हैं।
चक और (सिनेमेटोग्राफर) मार्क अर्बन का ताल-मेल शानदार है।
इसके अलावा, ज़्यादा फर्क नहीं है। कन्टेंट वही है, टैलेंट वही है।
आपने अभिनेत्री बनने का फैसला कब किया?
जब मैं स्कूल में थी, तब मैंने स्मिता पाटिल की मराठी फिल्म का एक गाना देखा था।
मैं उनके जैसी बनना चाहती थी।