‘अनुराग कश्यप अपनी असली ज़िंदग़ी में बेहद मज़ेदार, ख़ुशमिजाज़ व्यक्ति हैं। मुझे नहीं पता कि यह चीज़ उनकी फिल्मों में क्यों नहीं दिखाई देती।’
जोहरी, उत्तर प्रदेश के जाट-बहुल क्षेत्र बाघपत का एक गाँव, आजकल गतिविधियों से सराबोर है।
निर्माता अनुराग कश्यप अभिनेत्रियों तापसी पन्नू और भूमि पेडणेकर के साथ इस गाँव में सांड की आँख की शूटिंग के लिये आये हैं, जो गाँव की दो मशहूर कुलमाताओं, दादी चंद्रो और दादी प्रकाशी के जीवन पर आधारित हैं।
"जो मेरे और भूमि के बीच झगड़े की उम्मीद कर रहे हैं, माफ़ कीजिये, आप निराश होने वाले हैं। हमारी अच्छी पट रही है," तापसी ने जोहरी के सुभाष के झा से कहा।
"हमारे बीच कैमरे के पीछे भी उतनी ही दोस्ती है। जब हम शूटिंग नहीं कर रहे हों, हम यहाँ के खाने, देखने की चीज़ों, और हमारी फिल्म के अलावा हर चीज़ के बारे में बात करते हैं।"
तापसी ने बताया कि यहाँ के लोगों ने क्रू का ज़ोरदार स्वागत किया। "गाँव के लोग सर्दियों की रात में भी ठंड की परवाह किये बिना यहाँ जुट जाते हैं। वे चुपचाप खड़े होकर घंटों हमारी शूटिंग देखते रहते हैं। उन्हें गर्व है कि जोहरी की सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध महिलाओं पर फिल्म बनाई जा रही है।"
तापसी ने बताया कि कश्यप की अन्य फिल्मों से हट कर, सांड की आँख एक खुशमिजाज़ फिल्म है।
"अनुराग कश्यप अपनी असली ज़िंदग़ी में बेहद मज़ेदार, खुशमिजाज़ व्यक्ति हैं। मुझे नहीं पता कि यह बात उनकी फिल्मों में क्यों नहीं दिखाई देती। मैं आपको बस इतना भरोसा दिला सकती हूं कि वह मेरे साथ कोई डार्क फिल्म नहीं करेंगे। मनमर्ज़ियाँ और सांड की आँख खुशी से भरी फिल्में हैं।
"तो अब मैं अनुराग के सिनेमैटिक मूड को बदलने का श्रेय ले सकती हूं।"