राष्ट्रीय स्तर की एथलीट नमी राय पारेख ने अपनी शादी और खेल-कूद की सुविधाओं के अभाव को अपने फिटनेस के सफर के बीच नहीं आने दिया।
मैंगलोर में जन्मी नमिता राय 100 m हर्डल्स (बाधा दौड़) और 100 m रिले के खेल में राष्ट्रीय स्तर पर रजत और कांस्य पदक हासिल कर चुकी हैं।
वह सुबह कम से कम तीन घंटे और फिर शाम को दुबारा मैदान में दौड़ने जाती थीं।
तीन साल पहले उनकी शादी हो गयी और उन्हें अपने पति और ससुराल परिवार के साथ रहने के लिये रायपुर जाना पड़ा।
छत्तीसगढ़ में खेल-कूद सेवाओं की कमी के कारण नमी राय पारेख (शादी के बाद उनका नाम) पहले की तरह एथलेटिक्स का सफर जारी नहीं रख पायीं।
हिम्मत हारने या बहाने ढूंढने की जगह उन्होंने खेल-कूद और फिटनेस के अपने जुनून को ज़िंदा रखने के लिये जिम में कसरत करना शुरू कर दिया।
"बचपन से ही मैं खेल-कूद के वातावरण में पली-बढ़ी हूं। मैंने प्रैक्टिस के लिये मैदान में अनगिनत घंटे बिताये हैं। शादी के बाद मेरी एक ही इच्छा थी, अपने आपको खेल-कूद के क्षेत्र में आगे बढ़ना। छत्तीसगढ़ में स्पोर्ट्स फसिलिटीज़ की कमी के कारण, जिम में वर्क आउट करना ही एकमात्र विकल्प था। और अब धीरे-धीरे मुझे ये पसंद आने लगा है,'' नमी ने दिव्या नायर / रिडिफ़.कॉम से कहा।
55 किग्रा वज़न की 28 वर्षीया खिलाड़ी लोगों को बहाने बनाना छोड़ कर अपने सपनों की ओर कदम बढ़ाने की प्रेरणा देना चाहती है।
उनके फिटनेस के प्रेरणादायक सफर के बारे में और जानने के लिये नीचे पढ़ें।
"मैं सुबह 6.30 बजे उठ जाती हूं और एक ग्लास गर्म पानी में नींबू के रस और नमक के साथ अपना दिन शुरू करती हूं। अपने ससुराल परिवार के लिये नाश्ता बनाने और परोसने के बाद, एक कप ब्लैक कॉफ़ी पीकर मैं जिम जाने के लिये तैयार हो जाती हूं," उन्होंने बताया।
"मैं सुबह 9 बजे तक जिम पहुंच जाती हूं और अक्सर 3 घंटे वर्क आउट करती हूं। मैं घर पर साधारण लंच करती हूं और कुछ देर सो जाती हूं, ताकि मेरे शरीर को ठीक होने का मौका मिले।"
"मैं बेहद लकी हूं क्योंकि मेरे घर पर हर कोई मुझे समझता है और मेरे सपनों की ओर बढ़ने में मेरा सहयोग करता है।"
"प्रोटीन शेक्स और अंडे, दूध या पनीर खाकर मैं अपनी प्रोटीन की ज़रूरत पूरी करती हूं।"
"मैं कोर मसल्स (मूल मांसपेशियों) और पैर के मसल्स को ज़्यादा से ज़्यादा ट्रेन करने में विश्वास रखती हूं, क्योंकि ये आपकी मुख्य मांसपेशियाँ हैं, जिनकी मदद से आप अपने सपनों की फ़िज़ीक बना सकते हैं।"
"कार्डियो के रूप में दौड़ना भी मेरे कार्यक्रम का एक हिस्सा है," उन्होंने कहा।
"हर दिन अच्छा नहीं होता, हर दिन आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। कई बार आप जितना चाहते हैं उतना नहीं उठा पाते। और यहीं पर लोग हिम्मत हार जाते हैं। मेरा कहना है कि अपना पूरा दम लगाइये और अपनी मंज़िल से ध्यान भटकाये बिना आगे बढ़ते रहिये।"
"फिटनेस एक सफर है, मंज़िल नहीं।"
"अक्सर हमारे युवा फिल्म स्टार्स को देख कर उनके जैसे बनना चाहते हैं। वो कोशिश तो करते हैं, लेकिन बदलाव नहीं होता देख कर हिम्मत हार जाते हैं। उन्हें समझना चाहिये कि उन फिल्म स्टार्स ने उस फिज़ीक तक पहुंचने के लिये कई सालों की कड़ी मेहनत की है। अगर आप उतनी ही कड़ी मेहनत करेंगे, तो आप ज़रूर सफल होंगे।"
"फिटनेस एक जीवनशैली है और यही बात मैं सभी को सिखाना चाहती हूं," उन्होंने कहा।